देश की संसद के बाद अब यूपी की विधानसभा के नए भवन का निर्माण होगा। चिड़ियाघर की जमीन पर बिल्डिंग बनाने को लेकर तैयारी भी कर ली गई है। यह नया भवन भव्य और विशाल होगा, इसे तीन साल में बना लिया जाएगा और 18 वीं विधानसभा की कुछ बैठकें इसी नए भवन में होंगी।मौजूदा विधानभवन भारतीय यूरोपीय स्थापत्य कला का नमूना है तो नए विधानभवन में भारतीय स्थापत्य कला व संस्कृति की छाप होगी।लखनऊ के हजरतगंज इलाके में स्थित चिडि़याघर (नबाव वाजिद अली शाह जूलॉजिकल पार्क) करीब सौ साल पुराना है। इसे पिछले साल कैबिनेट द्वारा कुकरैल में शिफ्ट किए जाने का निर्णय हो चुका है। कुकरैल वनक्षेत्र में नाइट सफारी के साथ नया चिड़ियाघर ज्यादा बड़े क्षेत्रफल में बनेगा। चिडि़याघर की लोकेशन की वजह व विशाल भूखंड की वजह से इस जगह का चयन किया गया है।असल में पूरे शहर में एक साथ इतनी बड़ी करीब 200 एकड़ जगह उपलब्ध नहीं है। सीजी सिटी के काफी दूर होने की वजह से वहां विधानभवन बनाने की प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ पाया। इसके अलावा दारुलशफा के पीछे की जगह भी देखी गई लेकिन वहां सीमित जगह की वजह विधानभवन व उसके साथ अन्य इमारतें बनाना संभव नहीं है। साथ ही उसकी लोकेशन काफी भीड़भाड़ वाली जगह पर है जहां वीआईपी आवागमन में सुविधा व सुरक्षा दोनों की दृष्टि से खासी मुश्किलें आएंगी।बताया जा रहा है कि चिड़ियाघर की जमीन पर बनने वाले विधानभवन का मुख्य प्रवेशद्वार लोहिया पथ पर खुलेगा। इससे विधायकों की विधानभवन तक पहुंच आसानी से हो सकेगी। ज्यादातर विधायक निवास चिड़ियाघर के आसपास ही हैं। चिड़ियाघर से लगा हैदरकैनाल भी है। इस पर रोड बनाने की योजना पहले से विचाराधीन है। माना जा रहा है कि नए परिसीमन के बाद बढ़ी आबादी के कारण यूपी विधानसभा की सदस्य संख्या भी बढ़ेगी। ऐसे में नए विधानभवन की जरूरत पड़ रही है। जहां सुरक्षा के साथ साथ सभी सुविधाएं एक साथ मौजूद रहेंगी।
सर हरकोर्ट बटलर ने किया था मौजूदा विधानभवन का शिलान्यास
तत्कालीन यूनाईटेड प्राविंसेस गर्वनर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने 15 दिसंबर 1922 को विधानभवन का शिलान्यास किया था और इसका लोकार्पण 21 फरवरी 1928 को हुआ। इसके निर्माण पर 21 लाख रुपये की लागत आई थी।