हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर राज का आज समापन हो गया। वह 2014 में भाजपा की जीत के बाद नए चेहरे के तौर पर सामने आए थे और उस दौरान चौंकाने वाला नाम थे। पहली बार ही करनाल से विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को सीधे सीएम पद मिला था।कुशल संगठनकर्ता की पहचान रखने वाले मनोहर लाल खट्टर के लिए प्रशासन संभालना नई चीज थी, लेकिन वे खरे उतरे। कुछ मौकों पर उनके आगे चुनौतियां भी आईं और सवाल भी उठे, जैसे- जाट आंदोलन, किसान आंदोलन, राम रहीम और रामपाल की गिरफ्तारी के दौरान हुईं हिंसक घटनाएं।फिर भी मनोहर लाल खट्टर सख्त फैसले लेते रहे। इसके अलावा उनकी कुछ योजनाएं भी चर्चा में रहीं। इनमें से एक स्कीम को तो केंद्र सरकार ने भी जोरशोर से लागू किया है। यह स्कीम है- स्वामित्व। इसके तहत गांवों में लोगों के घरों के दस्तावेज दिए जा रहे हैं। इससे लोगों को अपने घरों का मालिकाना हक मिल सकेगा। कब्जे आदि के विवाद खत्म होंगे और जरूरत पर इन घरों के आधार पर लोगों को होम लोन भी मिल सकेंगे। इस तरह यह स्कीम करोड़ों ग्रामीण परिवारों को उनकी पहचान देने वाली है और उनके घर को पहचान दिलाने वाली है।इस स्कीम के तहत मोदी सरकार गांवों में आबादी की जमीनों का सर्वे करा रही है। इस स्कीम के अलावा परिवार पहचान पत्र की भी खूब चर्चा हुई। खेती में विविधता को बढ़ावा देने के लिए धान की खेती न करने पर किसानों को लाभ देने की स्कीम भी खट्टर सरकार ने शुरू की थी। मनोहर लाल खट्टर की एक खासियत यह भी रही कि तमाम विवादों के बीच भी वह किसी ऐसे बयान के कारण चर्चा में नहीं आए, जिससे नेतृत्व को असहजता हुई है।
परफॉर्मेंस से शिकायत नहीं तो क्यों हुई खट्टर की विदाई
पीएम नरेंद्र मोदी से दशकों पुराना रिश्ता रखने वाले मनोहर लाल खट्टर की सीएम पद से विदाई को लेकर भाजपा सूत्रों का कहना है कि इसकी वजह परफॉर्मेंस नहीं है। इसकी वजह भाजपा की ओर से समय-समय पर नेतृत्व परिवर्तन की नीति है। भाजपा हाईकमान को लगता है कि इससे राज्यों में नया नेतृत्व तैयार हो सकेगा। इसके अलावा ऐंटी-इनकम्बैंसी को भी कम किया जा सकेगा।