भारतीय वायुसेना का एक तेजस विमान मंगलवार को जैसलमेर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। भारतीय वायुसेना के मुताबिक यह तेजस विमान ऑपरेशनल ट्रेनिंग उड़ान पर था। बीते 23 साल के इतिहास में यह पहला वाकया है जब तेजस विमान हादसे का शिकार हुआ है।इस विमान की पहली टेस्ट फ्लाइट साल 2001 में हुई थी। तेजस विमान की कुछ खूबियों पर एक नजर…
दो वैरिएंट
तेजस एक सिंगल सीटर फाइटर एयरक्राफ्ट है जिसका दो सीट वाला वैरिएंट भी एयरफोर्स इस्तेमाल में लाती है। इसके अलावा भारतीय नौसेना भी ट्विन सीटर वैरिएंट को इस्तेमाल करती है। इस विमान का पहला टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन 2001 में हुआ था। वहीं, सेकंड सिरीज तेजस की पहली उड़ान 22 मार्च, 2016 को हुई थी। लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस 4.5 पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह हवाई हमलों के दौरान सपोर्ट दे सकता है। इतना ही नहीं, करीबी ग्राउंड ऑपरेशन के दौरान भी यह अहम भूमिका निभाने में सक्षम है। तेजस अपनी श्रेणी का सबसे छोटा और हल्का एयरक्राफ्ट है। इसके लिए इसका आकार और डिजाइन जिम्मेदार है। साल 2016 में फ्लाइंग ड्रैगर्स के नाम से जाना जाने वाला नंबर 45 स्क्वॉड्रन, तेजस को शामिल करने वाला पहला आईएएफ स्क्वॉड्रन था।
मिग 21 से रिप्लेस करने की योजना
फिलहाल इंडियन एयरफोर्स में 40 तेजस एमके-1 एयरक्राफ्ट हैं। इसके अलावा 36,468 करोड़ रुपए के 83 तेजस एमके-1ए फाइटर्स का ऑर्डर दिया गया है। भारतीय वायुसेना ने पुराने हो चुके मिग 21 को एलसीए तेजस मार्क 1ए एयरक्राफ्ट से रिप्लेस करने की योजना बनाई है। इसके लिए डेडलाइन 2025 रखी गई है। एलसीए कार्यक्रम 1980 के दशक के अंत में मिग -21 को बदलने के लिए लाया गया था। मिग 21 विमान साल 1963 से भारतीय वायु सेना में हैं। एलसीए का नाम 2003 में बदलकर ‘तेजस’ कर दिया गया था।