CAA एक जाल है, जो फंसा समझों बर्बाद हुआ; जमकर बरस रहीं ममता बनर्जी

सोमवार को केंद्र की मोदी ने देशभर में सीएए कानून लागू कर दिया है। सीएए लागू होने के बाद जहां देश के कई हिस्सों में जश्न मनाया जा रहा है तो दूसरी ओर विपक्षी दलों के नेताओं की भौंहे टेढ़ी कर रखी हैं।पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ऐलान किया कि वो राज्य में सीएए लागू नहीं होने देंगे। अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने सीएए की खामियां निकाली हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएए एक जाल है, जो इसके झांसे में आएगा वो अपना सबकुछ बर्बाद कर देगा। ममता ने कहा कि यदि कोई सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करता है, वह खुद को अवैध अप्रवासी घोषित कर रहा है यानी ऑटोमैटिक रूप से वह देश में नागरिकता के अधिकार, संपत्ति और नौकरियां खो देगा।

केंद्र ने सोमवार को सीएए लागू किया और एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया जहां लोग नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। सीएए के लिए आवेदन करने वाले लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक लोग हैं, लेकिन ममता बनर्जी ने सीएए में कई खामियों का आरोप लगाया है। उत्तर 24 परगना जिले में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “सीएए सीधे तौर पर एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से जुड़ा है। 2019 में असम में इसके लागू होने से 19 लाख लोगों को शिविरों में डाल दिया गया था। उनमें से 13 लाख हिंदू थे। अनेक हिन्दू आत्महत्या करके मर गये। बंगाल में एनआरसी लागू करने के लिए सीएए उनका पहला कदम है। यह एक जाल है। इसके झांसे में न आएं।”

गौरतलब है कि 2019 में संसद द्वारा पारित, सीएए उन गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करता है जो धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए 2015 से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत में आए थे। टीएमसी का कहना है कि सीएए असंवैधानिक है क्योंकि यह एक धर्मनिरपेक्ष देश में नागरिकता को उनके धर्म के आधार पर जोड़ता है। उधर, केंद्र ने अब तक एनआरसी के तहत नागरिकता जांच पर चुप्पी साध रखी है।

ममता बनर्जी ने कहा, “आपने यहां जो संपत्तियां खरीदी हैं, जो दुकानें आपने स्थापित की हैं या जो नौकरियां आप करते हैं उनका क्या होगा? यदि आप इसके चक्कर में पड़ गए तो आप रातों-रात सब कुछ खो देंगे। अवैध अप्रवासियों द्वारा खरीदी गई संपत्ति पर सीएए में कोई स्पष्टता नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले केवल बंगाल की कुछ सीटों पर कब्जा करने के लिए सीएए लागू किया है, जहां बांग्लादेश से आए दलित और नामशूद्र शरणार्थियों का एक बड़ा वर्ग है।

मतुआ समुदाय, जो नामशूद्र समुदाय का एक बड़ा हिस्सा है, ने सीएए की मांग को लेकर 2019 के लोकसभा और 2021 के राज्य चुनावों में भाजपा का समर्थन किया था।

चुनाव जीतने को भाजपा की चाल
ममता बनर्जी ने आगे कहा, “क्या आप अपना भाग्य भाजपा के हाथों में सौंप देंगे जिसने केवल (बंगाल में) दो या तीन सीटें जीतने के लिए यह (सीएए लागू) किया है? यदि आप नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं, तो आप आने वाले चुनाव में अपना वोट नहीं डाल पाएंगे। मुझे संदेह है कि सीएए की कोई कानूनी वैधता है या नहीं। क्या यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत नागरिकों के अधिकारों की गारंटी देता है? हमने विशेषज्ञों से सलाह ली है। भाजपा सबको धोखा दे रही है। आवेदन करने से पहले हजार बार सोचें।”

संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए, बनर्जी ने कहा, “दुनिया भर के देश उन लोगों को नागरिकता प्रदान करते हैं जो एक निश्चित अवधि के लिए रहे हैं। यह पांच साल या 10 साल हो सकता है। हमारे देश में जिला मजिस्ट्रेटों को किसी को नागरिक घोषित करने का अधिकार था। उन्होंने (केंद्र) यह शक्ति छीन ली है।”

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