देश में जातीय जनगणना को लेकर जारी बहस के बीच असम सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया। इसमें कहा गया कि राज्य के 5 मूल जनजातीय मुस्लिम समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
सरकार ने कहा कि इसका मकसद उनके उत्थान के लिए कदम उठाना है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा ने इसे लेकर राज्य सचिवालय में सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान राज्य के मूल जनजातीय मुस्लिम समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा पर विस्तार से चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, ‘मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा ने अधिकारियों को असम के मूल जनजातीय मुस्लिम समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। जनता भवन में एक बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया। राज्य के मूल जनजातीय मुस्लिम समुदायों में गोरिया, मोरिया, देशी, सैयद और जोल्हा शामिल हैं।’ इसमें कहा गया कि इस समीक्षा के नतीजे मूल जनजातीय अल्पसंख्यकों के व्यापक सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षणिक उत्थान को लेकर कदम उठाने के लिए राज्य सरकार का मार्गदर्शन करेंगे।
भाजपा को मिया वोट की जरूरत नहीं: सीएम हिमंत
भाजपा के फायरब्रांड नेता हिमंत ने बीते रविवार को मुसलमानों को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी को आने वाले 10 साल तक ‘चार’ (नदी के रेतीले) क्षेत्रों के मिया लोगों के वोटों की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक मुस्लिम बाल विवाह जैसी प्रथाओं को छोड़कर खुद में सुधार नहीं लाते हैं, तब तक हमें उनके वोटों की जरूरत नहीं है। हालांकि, सीएम ने यह भी कहा कि मिया लोग उनका और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बीजेपी का समर्थन करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वे उन्हें वोट दिए बिना भाजपा के पक्ष में नारे लगाना जारी रख सकते हैं।
बिहार की जाति जनगणना पर गरमाई राजनीति
बता दें कि असम सरकार ने मुस्लिम समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा का कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए हैं। इसे लेकर देश भर में राजनीतिक गरमाई हुई हैं। जाति जनगणना में खुलासा हुआ कि राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है। राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिनमें सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग समूह ईबीसी (36 प्रतिशत) है और इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत है। OBC वर्ग समूह में यादवों की संख्या आबादी के लिहाज से सबसे अधिक है जो कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति यानी दलितों की संख्या राज्य में कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है और करीब 22 लाख (1.68 प्रतिशत) लोग अनुसूचति जनजाति से संबंधित हैं।