अयोध्या धाम की तर्ज पर आध्यात्मिक विरासत और संस्कृति से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के लिए बरेली वासियों को नाथ कॉरिडोर की सौगात मिलने जा रही है। इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति तो पहले ही मिल चुकी है अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी सराहना करते हुए काम की रफ्तार बढ़ा दी है।मुख्यमंत्री ने बरेली में निर्माणाधीन नाथ कॉरिडोर की सड़कों को फोरलेन बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि नाथ कॉरिडोर की भूमि का व्यावसायिक उपयोग भी किया जाए, जिससे प्राधिकरण व नगर निगम की आय में भी बढ़ोतरी हो। उन्होंने कहा कि नाथ कॉरिडोर के विकास के लिए यदि अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता हो तो तत्काल खरीद की जाए। सड़कों के निर्माण पर 125 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
बुधवार को बरेली दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने यहां सर्किट हाउस में नाथ कॉरिडोर परियोजना की समीक्षा करते हुए कहा कि कोई भी शहर या जिला जब तक अपनी पहचान को स्थान नहीं देगा, तब तक वह समृद्ध नहीं हो सकता है। इसलिए बरेली की पहचान भगवान शिव को विशेष महत्व दिया जाना बहुत आवश्यक है। बरेली की पहचान नाथ नगरी से है। बीडीए उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि नाथ कॉरिडोर परियोजना के तहत सात प्रमुख शिव मंदिरों को आपस में जोड़ते हुए परिक्रमा मार्ग बनाया जाना प्रस्तावित है। परियोजना के अंतर्गत मंदिरों पर विभिन्न प्रकार के विकास कार्य किए जाने हैं। मंदिर परिसर में अनियोजित तरीके से स्थापित छोटे-छोटे मंदिरों व अन्य निर्माणों को फिर से स्थापित कर मुख्य मंदिर को प्रमुखता दी जाएगी।
लेआउट में वैदिक वास्तुकला का रखा जाएगा ध्यान
बीडीए उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने बताया कि 114 करोड़ से नाथ मंदिरों में आध्यात्मिक पर्यटन के विकास को बढ़ावा देने से सबंधित निर्माण कार्य कराए जाएंगे। 27.72 करोड़ से नाथ मंदिरों का सुदृढ़ीकरण और सौंदर्यीकरण कराया जाएगा। नाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण अब तेजी से रफ्तार भरेगा। सभी तैयारी पूरी हो गई हैं। वैदिक वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए नाथ मंदिरों का लेआउट और डिजाइन तैयार किया गया है।
सीएम ने दिए ये पांच महत्वपूर्ण सुझाव और निर्देश
- प्राधिकरण अफसरों द्वारा प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन जब किया गया तो मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिर कैंपस में उन सुविधाओं को ध्यान में रखा जाए, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी न हो।
- पार्किंग, पेयजल, यात्री शेड, प्रकाश व्यवस्था एवं ध्वनि व्यवस्था, जूता स्टैंड, शौचालय आदि को मंदिर की वास्तु कला के अनुसार विकसित किया जाए।
- रूद्राभिषेक, भंडारा आदि के लिए भूतल पर हॉल का निर्माण किया जाए। धार्मिक अनुष्ठानों एवं कथा कर्मकांडों के लिए प्रथम तल पर बहुउद्देशीय हॉल का निर्माण किया जाए।
- मंदिरों में वैदिक लाइब्रेरी भी बनाई जाए। साथ ही वैदिक साहित्यों की डिजिटल फार्म में उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- प्रसाद एवं पूजन सामग्री की व्यवस्था के लिए एक समान प्रकार की दुकानों का निर्माण किया जाए।
हर चौराहे तिराहे पर ओम, त्रिशूल और डमरू नजर आएंगे
हर चौराहे तिराहे पर भगवान शिव के ओम, त्रिशूल और डमरू का निर्माण कराया जा रहा है। चारों ओर आदिनाथ, अलखनाथ, मढ़ीनाथ-तपेश्वर नाथ व पशुपतिनाथ गेट बनकर तैयार हो गए हैं। उन पर पत्थर लगाए जाने का कार्य प्रगति पर है। डेलापीर पर डमरू, इन्वर्टिस और झुमका तिराहे पर ओम, नकटिया और बनखंडी नाथ मंदिर के पास त्रिशूल स्थापित किया है। डेलापीर चौराहे का नाम आदिनाथ चौराहा रखा गया है। जिसपर 12 ज्योतिर्लिंग की झांकी होगी। साथ ही भगवान शिव और नाथ मंदिरों के इतिहास से परिचय कराया जाएगा। इसके अलावा सौ फुटा तिराहा, बीसलपुर चौराहा और मिनी बाईपास तिराहा को भी नाथ नगरी को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाएगा।
रिवर फ्रंट विकसित करने की हरी झंडी
सीएम ने शहरी क्षेत्र में नदी, तालाब आदि जल स्रोतों का पुनरुद्धार करने के निर्देश दिए हैं। रामगंगा नदी को चैनेलाइज करते हुए रिवर फ्रंट विकसित करने को हरी झंडी दे दी है। अमृत योजना के तहत रामगंगा नदी के जल का उपयोग शहर में पेयजल के रूप में किया जाए। इससे भू-जल सुरक्षित रहेगा तथा लोगों को पर्याप्त पेय जल भी उपलब्ध होगा।