इजरायल-हमास जंग का आज 83वां दिन है। इस बीच, इजरायली सुरक्षा बलों ने गाजा पट्टी के दक्षिणी शहर खान यूनिस में एल अमल सिटी अस्पताल के पास भीषण बमबारी की है, जिसमें 10 लोग मारे गए हैं और 12 लोग घायल हो गए हैं।इजरायली सेना ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक के रामल्ला और अन्य शहरों पर भी हमले किए हैं।करीब तीन महीने की जंग और इजरायली हमलों में अब तक 20 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं लेकिन इजरायल अपने उन दो मूल लक्ष्यों को हासिल कर पाने में अब तक नाकाम रहा है। 7 अक्टूबर को हमास आतंकियों के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दो बड़े संकल्पों का ऐलान किया था। पहला हमास का खात्मा और दूसरा इजरायली बंधकों की सकुशल रिहाई। इन दोनों ही मोर्चों पर इजरायल अब तक नाकाम रहा है।
हमास का खात्मा, अभी भी अधूरा
गाजा पट्टी पर अपने वर्तमान युद्ध में इजरायल अपने प्राथमिक सैन्य उद्देश्य ‘हमास को खत्म करने’ में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल कर पाने में असमर्थ रहा है। 80 दिनों से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद हमास काफी हद तक बरकरार है। वह अभी भी इजरायल में रॉकेट लॉन्च कर रहा है और गाजा के अंदर इजरायली सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचाना जारी रखा है।
इजरायल ने हमास द्वारा बंधक बनाए गए अपने सभी नागरिकों को अभी भी नहीं छुड़ा सका है। अब तक करीब आधे बंधक ही रिहा कराए जा सके हैं। यह संख्या 120 के करीब है, जबकि 240 के करीब लोगों को हमास ने बंधक बनाया था। इस मूल मकसद में भी पीएम नेतन्याहू विफल रहे हैं। इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ रहा है। इजरायली नागरिक अपने परिजनों की सकुशल रिहाई के लिए इजरायली सरकार पर दबाव बना रहे हैं और तीन महीने तक खाली हाथ रहने पर नेतन्याहू सरकार की आलोचना कर रहे हैं। हालांकि इजरायल के सैन्य अभियान का बेहतर परिणाम आना अभी बाकी है, फिर भी इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि इजरायल निर्णायक रूप से जनसंपर्क युद्ध हार रहा है।
पश्चिम यूरोप में इजरायल का विरोध बढ़ा
यानी युद्ध के मोर्चे से इतर पूरी दुनिया में इजरायल अब सहानुभूति खोने लगा है और उन देशों में भी उसका जनसंपर्क कमजोर पड़ता दिख रहा है, जो 7 अक्टूबर के हमास के हमले के बाद उसके साथ खड़े थे। ‘मिडिल ईस्ट आई’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी यूरोप में हुए जनमत सर्वेक्षणों से पता चला है कि अब केवल 35 फीसदी जर्मन ही अपनी सरकार के इजरायल समर्थक रुख का समर्थन करते हैं। स्पेन में लोग इजरायल की तुलना में फिलिस्तीन का अब ज्यादा समर्थन करने लगे हैं और आयरिश लोगों का भारी बहुमत गाजा में इजरायल के सैन्य अभियान का विरोध कर रहा है।
अमेरिकी और ब्रिटिश नागरिक भी बंटे
इजरायल को हमास के खिलाफ समर्थन देने के ब्रिटिश सरकार के फैसले के मुद्दे पर अब ब्रिटिश नागरिक भी बंट गए हैं। पहले के मुकाबले अब ज्यादा ब्रिटिश नागरिक फिलिस्तीन की तरफ झुकाव रखने लगे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए सर्वे के आंकड़े भी कुछ ऐसी ही कहानी बता रहे हैं। हाल ही में हार्वर्ड-हैरिस सर्वेक्षण से पता चला है कि 18 से 24 आयु वर्ग के अमेरिकी हमास का समर्थन करने और इजरायल का समर्थन करने के बीच समान रूप से विभाजित हैं।
सर्वे रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि अमेरिका में 18 से 24 वर्ष की आयु के लगभग 60 प्रतिशत युवाओं को लगता है कि इजरायल पर हमास का 7 अक्टूबर का हमला उचित था। 25 से 34 आयु वर्ग के लगभग आधे लोग और 35 से 44 आयु वर्ग के 40 प्रतिशत लोग भी ऐसा ही महसूस करने लगे हैं। इसी तरह, पश्चिम में, मुख्यधारा की मीडिया, जिसने जंग शुरू होने पर इजरायल का भारी समर्थन किया था, अब उनके रुख बदलने लगे हैं।
सोशल मीडिया पर भी इजरायल की खिंचाई
यूट्यूब, टिक-टॉक, इन्स्टाग्राम और एक्स जैसे सोशल मीडिया पर भी पश्चिमी देशों में लाखों लोग अब इजरायल के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स इन प्लेटफॉर्म पर गाजा और वेस्ट बैंक में इजरायल के सैन्य अभियान में निर्दोष नागरिकों की मौत के मामलों को प्रमुखता के साथ ग्राफिक्स विवरण के साथ दिखा रहे हैं।