खुले मंच पर कर लें बहस, सीएम एकनाथ शिंदे और स्पीकर को उद्धव ठाकरे का ओपन चैलेंज

हाराष्ट्र में शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। उद्धव ठाकरे का कहना है कि पार्टी के अधिकार को लेकर स्पीकर राहुल नार्वेकर ने जो फैसला किया है वह गलत है।अब उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और स्पीकर नार्वेकर को एक और चुनौती दे दी है। उन्होंने कहा कि वह दोनों लोगों से एक साथ सार्वजनिक मंच पर बहस करने को तैयार हैं। बता दें कि उद्धव ठाकरे ने पार्टी पर अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका फाइल की है।

भाजपा पर उद्धव का हमला
उद्धव ठाकरे ने इस फूट के लिए सीधे तौर पर भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पहले से ही कहते थे कि देश में केवल एक पार्टी रह जाएगी। इसके बाद शिवसेना और एनसीपी दोनों को खत्म करने की कोशिश की गई। उद्धव ठाकरे ने कहा, कुछ लोग कहते हैं कि मुझे इस्तीफा नहीं देना चाहिए था। मैं ठहरना ही नहीं चाहता था। आप जानते हैं कि उसके बाद क्या हुआ था। राज्यपाल ने एक असंवैधानिक सत्र बुलाया। वह भी इस साजिश का हिस्सा थे। अब फैसला इस बात का होना है कि देश में लोकतंत्र रहेगा या नहीं।

उद्धव ठाकरे ने कहा, अगर मैं शिवसेना प्रमुख ना होता तो भला 2014 और 2019 में भाजपा समर्थन के लिए मुझसे हस्ताक्षर क्यों करवाती। मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विश्वास करता हूं लेकिन मैं इस लड़ाई को अब जनता के पास ले जाना चाहता हूं।

नार्वेकर ने दिया जवाब
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने भी उद्धव ठाकरे को जवाब दिया और कहा कि उनके फैसले को लेकर भ्रांति फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा, उद्धव ठाकरने ने सुप्रीम कोरट्, स्पीकर, राज्यपाल औऱ चुनाव आयोग के खिलाफ भी बयानबाजी की। ऐसा लगता है कि शिवसेना (यूबीटी) को किसी भी लोकतांत्रिक संस्था पर विश्वास नहीं है।

महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा था कि जून 2022 में शिवसेना में फूट के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है। इससे पहले चुनाव आयोग ने भी उद्धव गुट की पार्टी को शिवसेना (यूबीटी) नाम दियाथा। बता दें कि स्पीकर ने दोनों गुटों के किसी भी सदस्य को अयोग्य नहीं ठहराया था। उद्धव ठाकरे का कहना था कि शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।

क्या था चुनाव आयोग का फैसला
शिवसेना में बगावत के वक्त पार्टी के कुल 54 विधायक थे। इनमें से 37 का समर्थन शिंदे के पास था। ऐसे में चुनाव आयोग ने माना था का पार्टी के नाम और सिंबल पर शिंदे गुट का ही अधिकार है। वहीं अब उद्धव ठाकरे का कहना है कि स्पीकर ने जो भी फैसला सुनाया वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अपमान है।

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