शिवपाल यादव की जगह बेटे आदित्य का बदायूं से लड़ना तय, नवरात्र में नामांकन की तैयारी

माजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव की जगह उनके बेटे आदित्य यादव ही अब बदायूं से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। आदित्य यादव नवरात्र में अपना नामांकन पत्र भरेंगे। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।सपा उनके नाम का औपचारिक ऐलान जल्द करेगी। समाजवादी पार्टी ने शिवपाल को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन शिवपाल ने अपने बजाए बेटे आदित्य यादव को इस सीट से लड़ाने की अभिलाषा सार्वजनिक तौर पर जताई थी। तभी से तय हो गया था कि आदित्य ही प्रत्याशी होंगे। पार्टी ने शिवपाल से पहले धर्मेंद्र यादव को यहां से टिकट दिया था, लेकिन बाद में उनकी जगह शिवपाल आ गए थे।

पिछले दिनों संभल में दौरे के दौरान शिवपाल ने गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र के बबराला में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में अपने नहीं लड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने अपनी जगह बेटे आदित्य के उतरने का ऐलान भी कर दिया था। शिवपाल ने तब कहा था कि इस पर राष्ट्रीय नेतृत्व फैसला करेगा। हालांकि तभी माना जा रहा था कि शिवपाल की इतनी छोटी मांग को सपा प्रमुख अखिलेश यादव मान ही लेंगे। चुनाव के समय किसी प्रकार का विवाद वह नहीं चाहेंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि क्यों अपना नाम वापस ले रहे हैं और क्यों बेटे को लड़ाना चाह रहे हैं। कहा कि जब अखिलेश यादव पहली बार कन्नौज से सांसद बने थे तो 26 साल के थे। धर्मेंद्र यादव जब मैनपुरी से सांसद बने थे तो 25 साल के थे। अखिलेश सबसे युवा मुंख्यमंत्री बने थे। हम तो युवाओं से भी कहना चाहते हैं कि उन्हें आगे आना चाहिए। हम तो बुजुर्ग हो चले हैं। जब सीढ़ियों पर चढ़ते हैं तो नौजवानों का सहारा लेना पड़ता है।

अखिलेश की पीढ़ी में आदित्य नहीं उतरे हैं मैदान में
मुलायम परिवार में अखिलेश की पीढ़ी वाले अक्षय यादव, धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव व अर्पणा यादव जहां लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। अर्पणा को छोड़ सभी कभी न कभी जीते भी हैं। यही नहीं मुलायम के पौत्र व अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप को भी मैनपुरी उपचुनाव लड़ कर सांसद बनने का मौका मिल गया। वहीं आदित्य यादव को अभी तक न विधानसभा का चुनाव लड़ने का मौका मिला और न लोकसभा का।

पार्टी ने पहले धर्मेंद्र यादव को बदायूं से टिकट तय किया था लेकिन बाद में पार्टी ने फैसला बदला और धर्मेंद्र यादव बदायूं की बजाए आजमगढ़ से चुनाव लड़ने भेज दिया। धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से पिछला उपचुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे। पार्टी ने इस बार बसपा के प्रमुख नेता शाह आलम गुड्डू जमाली को उतार कर समीकरण अपने पक्ष में करने की कोशिश की।

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