गृहयुद्ध या तानशाही, दुनिया का प्राचीन देश सीरिया कैसे बन गया ‘कब्रिस्तान’? अब विद्रोही गुटों का आर्मी बेस पर कब्जा

जिस देश में इंसानी अस्तित्व सात लाख साल पुराना है, वह अब कब्रिस्तान बन चुका है. इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं. जगह-जगह खंडहर नजर आते हैं. पहले अलग-अलग साम्राज्यों के बीच पिसा यह देश आजाद हुआ तो सैन्य शासन ने तख्ता पलट दिया और आपातकाल लगा कर शासन शुरू कर दिया. फिर एक तानाशाही प्रवृत्ति का शासक आ गया, जिससे गृह युद्ध शुरू हो गया और लाखों लोग मारे गए. आतंकी समूहों के उदय के कारण अमेरिका और इजराइल जैसे देश इस पर ताबड़तोड़ हमले करते ही रहते हैं. इसके कारण यह तबाही के कगार पर पहुंच चुका है.ऐसे में खुशहाली की बात करना ही बेमानी है. हम बात कर रहे हैं सीरिया की. वो सीरिया जहां व्रिद्रोही गुटों के हमले में 89 लोग मारे जा चुके हैं. व्रिदोही गुटों ने सीरियाई आर्मी के बेस पर कब्जा कर लिया है. बुधवार कोजिन गुटों ने हमला किया उनमें से एक संगठन हयात तहरीर अल-शम को अल कायदा का समर्थन हासिल है. गुटों का दावा है कि उन्होंने सीरियाई सरकार के 46 सैन्य अड्डों पर कब्जा कर लिया है. इसी बहानेआइए जान लेते हैं कि दुनिया का यह प्राचीन देश आखिर कैसे कब्रिस्तान बन गया? यहां किस-किसने राज किया और अब क्यों हालात बिगड़ रहे हैं?
सात लाख साल पुराना इंसानी अस्तित्व
सीरिया आधिकारिक तौर पर एक अरब गणराज्य है. दक्षिण-पश्चिम एशिया के इस देश की सीमा पश्चिम की ओर भूमध्य सागर और उत्तर में तुर्किए, पूर्व और दक्षिण पूर्व में इराक, दक्षिण की ओर जॉर्डन और दक्षिण-पश्चिम में इजराइल और लेबनान से सटी है. साइप्रस भूमध्य सागर के पश्चिमी छोर पर स्थित सीरिया की राजधानी दमिश्क है. यह देश दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता का सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. यहां सात लाख साल पहले भी मानव की मौजूदगी का पता चलता है. यानी यहां इंसानी अस्तित्व सात लाख साल पहले से ही था. पुरातत्व विदों के अनुसार सीरिया में निएंडरथल्स के कंकाल और हड्डियां मिली हैं. यहां के एबाला शहर का अस्तित्व 3,000 ईसा पूर्व के आसपास भी मिला है. इस देश का जिक्र बाइबिल में भी मिलता है.
प्राचीन काल से अलग-अलग साम्राज्यों का शासन
सीरिया पर प्राचीन काल से ही अलग-अलग साम्राज्यों का कब्जा रहा है. मिस्र, हैती, सुमेरिया, मितानी, बेबीलोन, पर्शिया, ग्रीक और रोम जैसे साम्राज्यों ने यहां शासन किया. शुरुआत में यहां रोम साम्राज्य का शासन था. फिर 637 ईसा पूर्व में मुसलमान शासकों ने इस पर कब्जा कर लिया. इसके बाद कई साम्राज्यों ने सीरिया के लिए लड़ाई की. यह पहले विश्व युद्ध की बात है. तब फ्रांस और ब्रिटेन ने सीरिया के ऑटोमन साम्राज्य को आपस में बांट लिया. साल 1920 में आधुनिक सीरिया और लेबनान पर फ्रांस का कब्जा हो गया, जिसने सीरिया में लोगों के विद्रोह को हवा दी.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद आजाद हुआ
साल 1925 से 1927 के बीच सीरिया के लोगों ने फ्रांस के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जिसे ग्रेट सीरियन रिवोल्यूशन के नाम से जाना जाता है. इसके चलते साल 1936 में सीरिया से फ्रांस वैसे तो अलग हो गया रक उसकी सेना और आर्थिक ताकत के कारण सीरिया पूरी तरह आजाद नहीं हो पाया था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत फ्रांस ने सीरिया से अपनी सेनाएं हटाईं और 17 अप्रैल 1946 को यह आजाद हो गया.
तानाशाह राष्ट्रपति का उदय
यह साल 1963 की बात है. हाफिज अल-असद की अगुवाई में सीरिया में सैन्य तख्तापलट हो गया. इजराइल के हमले का बहाना बनाकर सीरिया में आपातकाल लागू कर दिया गया और तभी से आपातकालीन कानून के तहत ही वहां शासन किया जा रहा है. साल 2000 में अल-असद का निधन हो गया तो उनके बेटे बशर अल-असद को निर्विरोध राष्ट्रपति चुना गया. इसके बाद ही सीरिया में हालात बदलते गए. बशर एक तानाशाह रूप में सामने आए. इसके कारण सीरिया में युवाओं को भारी बेरोजगारी का सामना करना पड़ा. चारों ओर भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया और जनता परेशान हो उठी. राष्ट्रपति बशर अल-असद जनता पर अत्याचार करने लगे.
साल 2012 में शुरू हुआ गृह युद्ध
इसी बीच, कई अरब देशों में सत्ता के खिलाफ बगावत शुरू हो गई. इससे प्रेरित होकर सीरिया के लोगों ने भी लोकतंत्र के समर्थन में मार्च 2011 में आंदोलन शुरू कर दिया. इस पर सरकार ने बल प्रयोग का सहारा लिया तो हर तरफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. लोगों ने बशर अल-असद के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी और सरकार के खिलाफ हथियार उठा लिए. इसके चलते साल 2012 में सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हो गई और देश के कई हिस्सों में अलग-अलग गुटों ने समानांतर सरकार बना ली.
दूसरे देश भी गृह युद्ध में कूदे
सीरिया के हालात का फायदा उठाने के लिए धीरे-धीरे वहां की सरकार और विद्रोहियों की लड़ाई में दूसरे देश भी कूद पड़े. रूस और ईरान ने सीरिया की हथियारों और धन से मदद शुरू कर दी. इससे बशर ने 2015 में देश के कुछ हिस्सों को विद्रोहियों के कब्जे से छुड़ाने के लिए हवाई हमले शुरू कर दिए. इसके कारण अब तक शांतिपूर्ण तरीके से चल रही बगावत पूरी तरह से गृह युद्ध में बदल गई. इस लड़ाई में अब तक सीरिया के लाखों लोग मारे जा चुके हैं.
खंडहर बनता गया देश
देखते ही देखते बगावत की यह लड़ाई सांप्रदायिक होती गई और सीरिया में शिया-सुन्नी आमने-सामने आ गए. दरअसल, सुन्नी बहुल देश सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद शिया हैं. बताया जाता है कि शिया बहुल होने के बावजूद ईरान ने सीरिया में बशर सरकार को बचाने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए. अपने लड़ाके भी सीरिया में भेजे.इस बीच, इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने उत्तरी और पूर्वी सीरिया के कई हिस्सों पर अपना कब्जा जमा लिया. ईरान, इराक, लेबनान, अफ़गानिस्तान और यमन से हजारों शिया लड़ाके सीरिया की सेना की तरफ से लड़ने पहुंच गए. कुर्दों की मदद से अमेरिका भी सीरिया में आईएसआईएस पर हमले करने लगा. इसके चलते पूरा देश खंडहर में तब्दील होता गया. सीरिया के हजारों नागरिक शरणार्थी के रूप में यूरोप और दुनिया के दूसरे हिस्सों में शरण ले चुके हैं.
हमास पर हमले के बाद और बिगड़े हालात
पिछले साल सात अक्टूबर (सात अक्तूबर 2023) को इजराइल पर हमास ने हमला किया तो स्थिति और बिगड़ गई. इस हमले के बाद मध्य-पूर्व में बड़ा संघर्ष शुरू हो गया. इजराइल ने हमास को खत्म करने के लिए गाजा में और हिज्बुल्लाह का अंत करने के लिए लेबनान, ईरान और सीरिया में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू कर दिया.सीरिया में भी कई हवाई हमले किए और इस दौरान वहां मौजूद हिज्बुल्लाह के सदस्यों और ईरानी अधिकारियों को निशाना बनाया. इसी महीने (नवंबर-2024) के शुरू में पहली बार इजरायल ने सीरिया में ग्राउंड ऑपरेशन की घोषणा कर दी. तब से सीरिया में लगातार इजराइल की कार्रवाई जारी है.आईएसआईएस पर नियंत्रण के नाम पर अमेरिका भी सीरिया में हमले करता ही रहता है. सीरिया में अब तक कम से कम पांच बार केमिकल हमले हो चुके हैं. ऐसे में सीरिया में लगातार हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं.

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