22 जनवरी को अयोध्या में राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी देशभर में धूमधाम से की जा रही है। करोड़ों देशवासियों का अपनी आंखों के सामने भगवान राम को भव्य मंदिर में विराजने का सपना सच होने जा रहा है।1992 में हुए राम मंदिर आंदोलन से लेकर राम मंदिर निर्माण में अलीगढ़ की विशेष भूमिका रही है। कार सेवकों के रूप में यहां के मुस्लिम कार सेवकों ने भी अपना अहम योगदान दिया था। विहिप नेता अशोक सिंघल व तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह के आह्वान पर दर्जनों मुस्लिम युवक उस समय बस, जीप, ट्रेन से अयोध्या पहुंचे थे।
जब गली-गली में गूंज रहा था बच्चा-बच्चा राम का जन्मभूमि के काम का तो यह मुस्लिम नौजवान भी खूद को रोक नहीं पाए थे। अब जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने जा रहा है तो इन लोगों ने हिन्दुस्तान के साथ अपनी पुरानी यादें ताजा कीं। अलीगढ़ के अतरौली क्षेत्र की माटी से निकले कल्याण सिंह ने भगवान राम की खातिर अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को त्यागने में देर नहीं लगाई थी। इसी जज्बे-जोश के साथ इलाके के मुस्लिम युवाओं ने भी बाबूजी कल्याण सिंह की एक आवाज पर अयोध्या जाने में एक पल नहीं सोचा था।
मोहल्ला गुरैया निवासी छोटे खां तो 1992 के आंदोलन में अयोध्या जाने को सौभाग्य मानते हैं। उन्होंने बताया कि यहां से गांव के ही इदरीश सहित छह लोग जीप से उस समय अयोध्या पहुंच गए थे। वहां हर तरफ मंदिर आंदोलन को लेकर उफान था। हर तरफ जयश्रीराम का जयघोष हो रहा था। अयोध्या से पहले ही गाड़ी रोक दी गई थी। एक दिन तो अयोध्या के बाहर ही तमाम लोगों का जमावड़ा था। तो वहीं रात बिताई थी। इसके बाद हम लोग बाराबंकी आए थे जहां से दो दिन बाद अलीगढ़ पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि वह बाबूजी कल्याण सिंह से लंबे समय से जुड़े रहे थे, उनके दिन में हिन्दू-मुस्लिमों को लेकर कोई भेदभाव नहीं था। आज जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होने जा रहा है तो इसका हर किसी को स्वागत करना चाहिए।
हर तरफ थी राम लहर
अतरौली के ही पुत्तन खां बताते हैं कि वह 1990 में कारसेवा में गए थे। तब कस्बे से कार सेवकों की बस रवाना की गई थी। तब भी कार सेवकों की गिरफ्तारी के लिए धरपकड़ की जा रही थी। इसके बाद भी वह क्षेत्र के ही टिल्लू खां को साथ लेकर गए थे। हालांकि वह अब दुनिया में नहीं रहे। तब माहौल ऐसा था कि हर तरफ श्रीराम की लहर थी। कार सेवकों में शामिल रहे अशफाक खां मंदिर निर्माण को लेकर काफी खुश हैं। वह कहते हैं कि आज सभी देशवासियों का सपना पूरा हो रहा है।
अशोक सिंहल के गांव से भी गए थे मेहंदी हसन
विहिप नेता अशोक सिंहल के पैतृक गांव बिजौली से भी मेहंदी हसन समेत तमाम मुस्लिम अयोध्या गए थे। विहिप नेता के परिजन बताते हैं कि मेहंदी हसन अब दुनिया में नहीं हैं। वह 1992 के आंदोलन में गांव के लोगों के साथ अयोध्या गए थे, वहां जोशीले नारे लगाए थे। 1993 में जब अशोक सिंघल परिवार के लोगों से मिलने आए थे तो मेहंदी हसन की पीठ थपथपाई थी। कहा था कि कुछ लोग भले ही विवाद खड़ा कर रहे हों, मगर गांव के मुस्लिमों में तो मंदिर के प्रति आस्था है।