भगवान राम का युग आया, राम मंदिर समारोह पर बोले मुख्य पुजारी, बताया- क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या में राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पूरी तैयारी हो रही है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ समेत देशभर के छह हजार लोग शामिल होंगे।इसमें खेल, राजनीति समेत तमाम लोगों को निमंत्रण दिया गया है। वैसे तो 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होनी है, लेकिन इससे जुड़े कार्यक्रम 16 जनवरी से ही शुरू हो जाएंगे। राम लला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि 22 जनवरी का काफी इंतजार है। उन्होंने कहा कि अब युग भगवान राम का युग आ गया है।

उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को भगवान श्री राम लला भव्य राम मंदिर में विराजमान होंगे। ऐसा लगता है कि अभी तक जितनी परेशानियां रहीं, वह सभी समाप्त हो गईं और अब युग बदल गया और भगवान राम का युग आ गया है। ‘आजतक’ से बात करते हुए आचार्य सत्येंद्र दास ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में बताया कि किसी निर्जीव को सजीव बना देना प्राण प्रतिष्ठा है। कोई भी मूर्ति तब तक निर्जीव है, जब तक शास्त्रों द्वारा वर्णित मंत्रों को उस शरीर में प्रवेश नहीं करवाया जाए। मंत्रों द्वारा प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। उन्होंने बताया कि 86 सेकंड में मंत्र पूरा होना है। मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा स्थापित होने में इतना ही समय लगता है।

अयोध्या में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने से पहले कई सालों तक रामलला तिरपाल में रहे। इस पर बात करते हुए मुख्य पुजारी ने कहा कि वह समय काफी दर्दनाक था। यह समझिए कि भगवान रामलला की कृपा से 28 साल बीत गए। जो भी समस्याएं आईं यह धैर्य रहा कि यह समय बीत जाएगा। पूरी उम्मीद थी कि तिरपाल हटेंगे और भगवान राम के लिए भव्य मंदिर जरूर बनेगा। आज वह हो गया है और भव्य मंदिर बन गया है।

उन्होंने बताया कि उस समय काफी कष्ट होता था जब बारिश होती थी और भगवान के ऊपर उसकी छींटे पड़ती थीं। इस पर हम लोगों को बहुत कष्ट होता था। गर्मी इतनी पड़ती थी कि सिर्फ एक पंखे के अलावा कुछ और नहीं था। चाहकर भी वहां एसी, कूलर नहीं लगा पाते थे। यह सब बहुत कष्टमय वाला रहा था। वहीं उस दौरान कितने रुपये मिलते थे, इस बारे में उन्होंने बताया कि आखिरी समय में रिसिवर ने कुल मिलाकर 28 हजार रुपये दिया था। इसमें बहुत खर्च होता था। उन्होंने बताया कि जब तिरपाल फट जाते थे तो दूसरे के लिए कोर्ट जाना पड़ता था।

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