अब UN में कश्मीर नहीं, अपने पाले आतंकी संगठनों पर बरस रहा पाक; एक साल में 306 हमले

कसर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ कश्मीर मसले पर बोलने वाले पाकिस्तान को अब उसके ही पाले आतंकी संगठनों से दर्द मिल रहा है। उन्हीं के खिलाफ अब उसे संयुक्त राष्ट्र में आवाज उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने सुरक्षा परिषद से कहा है कि वह अफगानिस्तान पर शासन करने वाले तालिबान से कहे कि तहरीक-ए-तालिबान से रिश्ते खत्म कर ले। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान की सक्रियता है और पाक का कहना है कि उसे अफगान तालिबान से खाद-पानी मिलता है।पाकिस्तानी राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि यदि टीटीपी पर लगाम नहीं कसी गई तो एक दिन वह वैश्विक आतंकी खतरा बन जाएगा। अफगानिस्तान पर UNSC के विशेष सत्र के दौरान बुधवार को पाक राजदूत ने कहा कि बीते साल पाकिस्तान में 306 आतंकवादी हमले हुए थे। इनमें 23 आत्मघाती हमले शामिल थे। इन आत्मघाती हमलों में 693 लोग मारे गए थे और 1,124 जख्मी हुए थे। यही नहीं इस साल फरवरी में ही पाकिस्तान में कुल 97 उग्रवादी हमले हुए थे। इनमें 87 लोगों की मौत हो गई और 118 जख्मी हुए। पाकिस्तान इंस्टिट्यूट ऐंड सिक्यॉरिटी स्टडीड के आंकड़ों में यह बात कही गई है।इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में होने वाले 78 फीसदी आतंकी हमले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ही करता है। ये हमले इसलिए हो रहे हैं क्योंकि आतंकियों को भरोसा है कि यदि हमले जारी रहेंगे तो पाकिस्तान की सरकार को बातचीत शुरू करनी होगी। इस तरह तालिबान की शह पर आतंकवादी पाक सरकार को दबाव में लाते हैं। इसकी वजह यह है कि इन लोगों को अफगानिस्तान तालिबान से भरोसा मिला हुआ है। पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने कहा, ‘अफगानिस्तान की सरकार तहरीक-ए-तालिबान पर नियंत्रण नहीं कस पा रही है। इसके अलावा कुछ और आतंकी संगठन भी शह बना रहे हैं।’

अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे से खुश था पाक, बता रहा था भारत की हार

इस तरह पाकिस्तान को अब उसके ही पाले आतंकी संगठन कष्ट देने लगे हैं। बता दें कि 2021 में जब अमेरिकी सेनाओं ने अफगानिस्तान छोड़ा था और तालिबान ने कब्जा जमाया था तो पाकिस्तान ने जश्न मनाया था। यही नहीं पाकिस्तान की सरकार ने इसे भारत के लिए हार बताया था। अब उन्हीं आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र का रुख किया है। गौरतलब है कि पश्तून पहचान को लेकर पाक के खैबर पख्तूख्वा में लंबे समय से अलगाववाद रहा है। वहीं खैबर के पश्तूनों को अफगानिस्तान से समर्थन मिलता रहा है।

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