भाजपा के लोकप्रिय चुनाव अभियान नारे ‘मोदी की गारंटी’ के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ‘मामा की वारंटी’ का नारा लॉन्च किया। सरमा के मुताबिक, यह एक अतिरिक्त आश्वासन होगा जो मतदाताओं को सरकार द्वारा लाभ सुनियोजित करेगा।सरमा ने एक्स पर लिखा, “जब हम वादे करते हैं तो यह सिर्फ कागज पर नहीं होता है। बल्कि उन्हें शब्द दर शब्द पूरा करने की प्रतिबद्धता होती है। 2024 के लिए असम के लोगों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए मोदी की गारंटी को मामा की वारंटी के जरिए पूरा किया जाएगा।”
हिमंता सरमा कर रहे मामा की वारंटी का प्रचार
हिमंता को असम में मामा के नाम से जाना जाता है। वह अक्सर खुद को मामा कहकर संबोधित करते हैं और अपने युवा चाहने वालों को स्थानीय भाषा में भगिना-भगिनी (भांजा और भांजी) कहकर बुलाते हैं। सरमा ऊपरी असम के जिलों में प्रचार कर रहे हैं जहां पहले चरण (19 अप्रैल) में आम चुनाव हो रहे हैं। असम में प्रचार अभियान की शुरुआत में सरमा ने कहा कि बीजेपी के लिए सिर्फ एक ही उम्मीदवार हैं, नरेंद्र मोदी। उनके मुताबिक, अन्य लोग इस साल के चुनाव में केवल मोदी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान सरमा ने मुफ्त चिकित्सा देखभाल, मुफ्त जीवन बीमा, सभी लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा, मुफ्त खाद्यान्न, निष्पक्ष सरकारी भर्तियां, महिला उद्यमियों को सहायता और युवा उद्यमियों को सहायता सहित विभिन्न राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि वे विकास पर काम कर रहे हैं और साथ ही दलालों (बिचौलियों) से भी निपट रहे हैं। उन्होंने कहा, “अब असम के युवाओं को नौकरी पाने के लिए उन दलालों की जरूरत नहीं है। ये नौकरियां उनकी योग्यता के आधार पर मिल रही है, यह पहले यहां आम बात नहीं थी।”
असम में 19 अप्रैल को चुनाव
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने 2021 में अरुणोदय योजना के बारे में बात की तो उनकी पार्टी के कई सदस्यों को विश्वास नहीं हुआ। सरमा ने कहा, “अब जब लाभ दिखाई दे रहा है, तो वे मुझ पर विश्वास करते हैं। हम अपनी योजनाओं से कई अन्य भाजपा शासित राज्यों को प्रेरित कर रहे हैं।”
असम में पहले चरण में काजीरंगा, सोनितपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़, लखीमपुर सीटों पर मतदान होगा। दूसरे चरण (26 अप्रैल) में करीमगंज, सिलचर, स्वायत्त जिला, मंगलदोई, नागांव। धुबरी, कोकराझार, बारपेटा, गुवाहाटी में तीसरे चरण (7 मई) को मतदान होना है। सरमा ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 अप्रैल को असम में एक रैली में भाग लेंगे और वह असम गण परिषद (एजीपी) के उम्मीदवार फणी भूषण चौधरी के लिए प्रचार करेंगे।
पिछले साल, प्रतिबंधित उग्रवादी समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने केंद्र सरकार और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन परेश बरुआ के नेतृत्व वाले समूह के एक वर्ग ने शांति वार्ता के लिए आने से इनकार कर दिया। परेश बरुआ के बड़े भाई, बिमल बरुआ इस सप्ताह की शुरुआत में एजीपी में शामिल हुए। शुक्रवार को सरमा ने कहा कि यह एक व्यक्तिगत निर्णय था और इसका सरकार के खिलाफ परेश बरुआ के रुख से कोई संबंध नहीं है।