सीएम योगी को दिया सम्मान, राजपूत नेता को बुलाकर की बात; क्या क्षत्रियों की नाराजगी दूर करना चाहते हैं PM मोदी?

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 370 और एनडीए ने 400 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। चुनावी मंचों से बीजेपी नेता चार सौ पार का नारा लगाते रहे हैं, लेकिन मतदान से ऐन वक्त पहले भगवा पार्टी के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है।गुजरात से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक क्षत्रियों ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आमतौर पर ठाकुर मतदाता कई दशकों से बीजेपी के समर्थक माने जाते हैं, और ज्यादातर वोट भी भाजपा को ही देते हैं, लेकिन अब पार्टी के सामने नई मुश्किल पैदा हो गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद समेत कई जगह पंचायतों का आयोजन किया गया, जिसमें ठाकुर समाज ने बीजेपी का विरोध करने की बात कही। कुछ ही समय में यह मुद्दा जमीन से उठते हुए सोशल मीडिया पर भी छा गया। बीजेपी नेतृत्व भी तुरंत हरकत में आया। इसके अलावा, सीएम योगी आदित्यनाथ और डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह की भी पश्चिमी यूपी में रैलियां लगाई गईं। वहीं, बीते दिन पीएम मोदी ने एक रैली के दौरान जिस तरह से सीएम योगी आदित्यनाथ और पूर्व मंत्री सुरेश राणा को सम्मान दिया, उससे भी चर्चाएं होने लगीं कि क्या यह सभी कवायद क्षत्रियों की नाराजगी को दूर करने के लिए तो नहीं है।

सुरेश राणा को बुलाकर की बात, सीएम योगी को भी सम्मान लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगलवार को यूपी के पीलीभीत में रैली थी। इस बार बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है। मंच पर पीएम मोदी के अलावा यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, पूर्व मंत्री सुरेश राणा आदि भी मौजूद थे। जब सीएम योगी मंच से भाषण दे रहे थे, इसी दौरान पीएम मोदी ने इशारों से सुरेश राणा को अपने पास बुलाया और बगल की कुर्सी पर बिठा लिया। काफी देर तक दोनों नेताओं की आपस में बात होती रही। सुरेश राणा मुजफ्फरनगर की थाना विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं और पश्चिमी यूपी का बड़ा राजपूत चेहरा हैं। पीएम मोदी और राणा की आपस में बातचीत करने का वीडियो सोशल मीडिया पर छा गया और लोग तरह-तरह के कयास लगाने लगे। कोई कहने लगा कि चूंकि सुरेश राणा राजपूत समाज से आते हैं, ऐसे में यह बातचीत राजपूतों की नाराजगी दूर करने की कोशिशों की तरह भी है। इसी रैली में सीएम योगी आदित्यनाथ भी जब भाषण देने जा रहे थे, तब उन्होंने कुर्सी को हटाकर पीछे से जाने की कोशिश की, लेकिन पीएम मोदी ने उनका हाथ पकड़कर आगे से ही जाने के लिए कह दिया। इसके जरिए भी पीएम मोदी ने योगी आदित्यनाथ को सम्मान दिया।

आखिर अचानक क्यों नाराज हो गया क्षत्रिय समाज? पश्चिमी उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय समाज की नाराजगी की कई वजहें हैं। इसमें एक वजह गाजियाबाद के सांसद वीके सिंह का टिकट काटा जाना है। इस बार उनकी जगह बीजेपी ने अतुल गर्ग को मैदान में उतारा है। इसके अलावा भी कई अन्य सीटों पर भी राजपूत उम्मीदवार नहीं उतारा जाना एक नाराजगी की वजह है। रविवार को राजपूत समाज के हजारों लोगों ने सहारनपुर के कस्बा नानौता में आयोजित क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में संकल्प लिया कि अबकी बार क्षत्रिय समाज अपने अपमान का बदला लेने के लिए बीजेपी को हराने वाले उम्मीदवारों को वोट करेगा। पंचायत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 लोकसभा क्षेत्रों, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के क्षत्रिय समाज के लोगों ने भाग लिया। समाज के लोगों की एक शिकायत यह भी है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जहां क्षत्रिय मुख्यमंत्री होते थे वहां बीजेपी ने किसी भी क्षत्रिय को मुख्यमंत्री नहीं बनाया। गाजियबाद में जनरल वीके सिंह के स्थान पर वैश्य बिरादरी के अतुल गर्ग को टिकट दिया गया। सहारनपुर, मेरठ सीटों पर भी गैर-राजपूत उम्मीदवार उतारे गए। वहीं, क्षत्रिय समाज में इस बात को लेकर भी बेहद नाराजगी है कि गुजरात के पाटीदार नेता और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने राजपूत महिलाओं के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की। हालांकि, विवाद बढ़ता देख रूपाला ने माफी भी मांग ली।

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