खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की बीते साल कनाडा में हुई हत्या का असर भारत के साथ रिश्तों पर दिख रहा है। यही नहीं भारत से पढ़ाई के लिए कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में भी 86 फीसदी तक की कमी आई है।
कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने यह बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि 18 सितंबर को पीएम जस्टिन ट्रूडो ने संसद में निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट्स का हाथ बताया था। उसके बाद से विवाद बढ़ता चला गया और उसी का असर है कि भारतीय छात्रों की संख्या में यह कमी देखने को मिली है। यही नहीं मिलर ने कहा कि इस स्थिति में जल्दी से सुधार होने की संभावना भी नहीं है क्योंकि यह मामला सुलझ नहीं सका है।
भारतीय छात्रों के आवेदन में कमी की एक वजह यह भी है कि भारत सरकार ने कनाडा के राजनयिकों के स्टाफ को भी कम कर दिया है। मार्क मिलर ने कहा कि भारत के साथ हमारे रिश्ते प्रभावित हुए हैं और उसके चलते नए आवेदनों को मंजूरी देने की क्षमता भी हमारी आधी ही रह गई है। दरअसल भारत सरकार ने कहा था कि यहां कनाडा के राजनयिकों की संख्या 62 है, जो अधिक है। इसके बाद उसने 41 राजनयिकों को बाहर जाने का आदेश दिया था। अब कनाडा के 21 अधिकारी ही भारत में काम कर रहे हैं। भारत का स्टाफ कनाडा में पहले से ही कम था। ऐसे में भारत का कहना था कि इस मामले में बराबरी होनी चाहिए।
राजनयिकों को निकाले जाने के दौरान ही कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा था कि इससे सेवाओं पर असर पड़ेगा। उनका कहना था कि दुर्भाग्य से इस निष्कासन से हमारा ऑपरेशन प्रभावित होगा और इसके चलते लोगों को भी समस्या उठानी होगी। मार्क मिलर ने कहा कि अभी यह भी नहीं कहा जा सकता है कि समस्या का हल कब होगा और भारत के साथ कब से रिश्ते सुधरने लगेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं बता सकता कि भारत के साथ आगे रिश्ते कैसे रहेंगे। खासतौर पर पुलिस की जांच किस दिशा में बढ़ती है, उस पर सब कुछ निर्भर करेगा।’
इस बीच कनाडा के मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि निज्जर की हत्या से जुड़े दो लोगों पर एजेंसियों की नजर है। इन्हें कभी भी अरेस्ट किया जा सकता है। बता दें कि 2023 में सिर्फ 14,910 भारतीयों ने ही कनाडा के लिए स्टडी परमिट लिया, जबकि उससे पहले 2022 में यह आंकड़ा 1 लाख 8 हजार 940 का था। इस तरह स्टडी परमिट की संख्या में 86 फीसदी तक की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।