संकष्टी चतुर्थी व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि और चंद्रोदय समय

Sankashti Chaturthi 2023श्विन मास की चतुर्थी तिथि को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने का विधान है. इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

इसके साथ ही इस व्रत को करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है.

Sankashti Chaturthi 2023आश्विन मास की चतुर्थी तिथि कब है?

आश्विन मास की चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 02 अक्टूबर 2023 सुबह 05 बजकर 06 मिनट से हो रहा है. वहीं, इसका समापन 03 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार को सुबह 03 बजकर 41 मिनट पर होगा. ऐसे में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत 02 अक्टूबर दिन सोमवार को रखा जाएगा.

Sankashti Chaturthi 2023अश्विन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत

इस साल अश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2 अक्टूबर 2023, सोमवार को है. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने पर जातक के सारे विघ्न समाप्त करता है. उसे जीवन में खुशियां, सौभाग्य प्राप्त होते हैं.

Sankashti Chaturthi Vrat 2023अश्विन संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त

पंचांग के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी तिथि 2 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार को सुबह 07 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी. 03 अक्टूबर 2023 को प्रात: 06 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी. गणपति बप्पा की पूजा का समय शाम 04 बजकर 37 मिनट से रात 07 बजकर 37 मिनट तक.

Sankashti Chaturthi 2023अश्विन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2023 चंद्रोदय समय

हर माह दो चतुर्थी आती है, एक संकष्टी चतुर्थी और दूसरी विनायक चतुर्थी. संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा जरुरी मानी गई है, वहीं विनायक चतुर्थी का चांद नहीं देखा जाता है. इस साल अश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का चांद रात 08 बजकर 05 मिनट पर निकलेगा.

Ganesh Chaturthi 2023नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से घर में सुख, समृद्धि आती है. इसके साथ ही बप्पा की कृपा से हर बिगड़े काम बन जाता है. सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है. साल भर में 12 संकष्टी व्रत रखे जाते हैं. अश्विन माह की संकष्टी चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कहते हैं.

Sankashti Chaturthi 2023विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व

गणेश जी को शुभता का प्रतीक माना गया है, इनकी आराधना से शुभ कार्य सफल हो जाते है. अश्विन माह में विघ्नराज संकष्टि चतुर्थी पर व्रत रखकर गणपति जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि का वास होता है. पितृ पक्ष में इस दिन चतुर्थी तिथि का श्राद्ध भी किया जाता है.

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