रामराज्य में इससे बेहतर विकल्प नहीं? योगी सरकार की नई शराब नीति पर क्यों भड़के वरुण गांधी

 यूपी के पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर से बागी तेवर दिखाए हैं। उन्होंने योगी सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई नई आबकारी नीति पर सवाल उठाया है।यूपी में नई शराब नीति को हाल ही में मंजूरी दी गई है। इसमें कई तरह के बदलाव किए गए हैं। शराब नीति में अंग्रेजी शराब, बीयर और भांग की लाइसेंस फीस में दस फीसदी की वृद्धि की गई है। साथ ही, बीयर की दुकान के बगल खाली पड़ी जगह का इस्तेमाल लाइसेंस धारक मॉडल शॉप की तरह कर सकेंगे।वरुण गांधी ने उस मीडिया रिपोर्ट को एक्स पर पोस्ट किया, जिसमें कहा गया है कि यूपी में महंगी नहीं, बल्कि शराब सस्ती होने जा रही है। इसमें कहा गया कि योगी सरकार ने नई आबकारी नीति में 50 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व पाने का टारगेट रखा है। इस रिपोर्ट को पोस्ट करते हुए वरुण गांधी ने कहा कि क्या रामराज्य में सरकार के पास राजस्व बढ़ाने के लिए इससे बेहतर विकल्प नहीं है?बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”करोड़ों परिवार उजाड़ने वाली शराब का ‘राजस्व वृद्धि’ के लिए प्रचार किया जाना दुखद है। शराब का नकारात्मक असर शराबी से अधिक उनके परिवार पर पड़ता है, महिलाओं व बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। क्या ‘रामराज्य’ में सरकार के पास राजस्व बढ़ाने के लिए इससे बेहतर विकल्प नहीं है?यह पहली बार नहीं है, जब वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए हों। इससे पहले, वे किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी कांड, बेरोजगारी समेत तमाम मुद्दों पर यूपी और केंद्र सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं। इसके अलावा, वे पिछले कुछ समय में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू समेत विपरीत विचारधारा वाले नेताओं की तारीफ करते दिखाई दिए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी का टिकट आगामी लोकसभा चुनाव में काट सकती है।

मंगलवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कैबिनेट बैठक हुई थी, जिसमें साल 2024-25 के लिए आबकारी नीति को मंजूरी दी गई थी। इस नीति को एक अप्रैल से लागू किया जाना है। आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी ने बुधवार को अपने बयान में बताया कि लाइसेंस फीस का भी 254 रुपये प्रति लीटर निर्धारण करने से सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। न्यूनतम गारंटी कोटा और न्यूनतम गारंटी रेवेन्यू में दस फीसदी की बढ़ोतरी करने से अगले वित्तीय वर्ष में 50 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य है। इसके बावजूद भी शराब की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होने जा रही है।

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