वरुण गांधी को किनारे कर सकती है भाजपा, तो क्या जेठानी की राह पर चलेंगी मेनका?

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाल ही में अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की। लिस्ट के आने के साथ ही पार्टी के कुछ प्रमुख सांसदों सहित कई मौजूदा सांसदों के भाग्य के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है।खासतौर से 80 सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में, जहां भागवा पार्टी लगातार दो चुनावों में बंपर जीत हासिल करती आ रही है। भाजपा नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश के 29 सहित 150 से अधिक लोकसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा को रोक रखा है। इनमें गांधी परिवार से आने वाली मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी की सीट भी शामिल है।

“वरुण को टिकट देना संभव नहीं”

यूपी में भाजपा ने अधिकांश उस क्षेत्र की सीटें रोक रखी हैं जहां छोटे दलों के साथ सीट-बंटवारे की डील को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। इनमें प्रमुख चेहरों केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (गाजियाबाद), मेनका गांधी (सुल्तानपुर), उनके बेटे वरुण गांधी (पीलीभीत) और विवादास्पद कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर तलवार लटकी हुई है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा द्वारा मेनका और वरुण को टिकट देना संभव नहीं है।

वर्तमान में मेनका गांधी सुल्तानपुर और उनके बेटे वरुण गांधी पीलीभीत से लोकसभा सांसद हैं। भाजपा में उनके भविष्य पर अटकलें लग रही हैं। 2014 में सुल्तानपुर से जीते वरुण गांधी ने 2019 में अपनी मां के साथ सीटों की अदला-बदली कर ली थी। ऐसे संकेत हैं कि भाजपा नेतृत्व कई मौकों पर पार्टी लाइन का पालन न करने और सरकार की खुली आलोचना के लिए वरुण को पीलीभीत से बदलने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। वरुण गांधी पिछले दो ढाई साल से अपनी ही प्रदेश और केंद्र सरकार को असहज करने वाले सवाल उठाते रहे हैं। हालांकि सांसद के तेवर पहले से काफी नरम पड़ चुके हैं। लेकिन उनकी इन कड़े तेवरों का असर उनकी मां की चुनावी राजनीति पर भी पड़ सकता है।

अपनी जेठानी सोनिया गांधी की राह पर मेनका गांधी?

द ट्रिब्यून ने एक भाजपा नेता के हवाले से लिखा कि मेनका गांधी अपनी जेठानी सोनिया गांधी की तरह बेटे के लिए संन्यास ले सकती हैं। उन्होंने कहा, “यह देखने वाली बात होगी कि क्या मेनका गांधी अपने बेटे के लिए उसी तरह कदम उठाएंगी जिस तरह सोनिया गांधी ने संन्यास लिया है।” उन्होंने कहा कि वरुण की भविष्य की योजनाएं अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सितंबर 2023 में पुराने संसद भवन के विदाई समारोह में मेनका गांधी को बोलने का मौका देने के बाद उनकी भाजपा विरोधी पिच नरम हो गई। 17वीं लोकसभा में आठ बार की सबसे वरिष्ठ सांसद मेनका ने इस दौरान प्रधानमंत्री की खूब तारीफ की थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने पिछले साल अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा था कि भाजपा नेतृत्व वरुण गांधी की जगह पीलीभीत से एक लोकप्रिय पार्टी और मौजूदा विधायक को उतार सकती है। रिपोर्ट में भाजपा सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ओबीसी समुदाय से आने वाले यह नेता दो बार के विधायक हैं और कहा जाता है कि पार्टी संगठन और योगी आदित्यनाथ सरकार के भीतर उनकी अच्छी पकड़ है।

पहले पार्टी की जिम्मेदारियों और चुनावी राजनीति से सोनिया का रिटायरमेंट

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने साल 2018 में कांग्रेस पार्टी की अहम जिम्मेदारियों से संन्यास ले लिया था। इसके साथ ही उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी के लिए रास्ता साफ कर दिया। सोनिया के संन्यास लेने के बाद उनके बेटे राहुल गांधी को निर्विरोध नया कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था। हालांकि 2019 में लोकसभा चुनाव हार के बाद राहुल गांधी ने भी कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। इसके बाद कुछ सालों के लिए सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष का पदभार संभाला। इसके बाद अब मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। 77 वर्षीय सोनिया गांधी 1998 से पार्टी अध्यक्ष थीं। वह 1999 में संसद के लिए चुनी गईं थीं। अब इस साल सोनिया गांधी ने चुनावी राजनीति भी छोड़ दी और अब वे राज्यसभा सांसद हैं।

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