उत्तर प्रदेश में इस साल का सबसे बड़ा बिजली संकट की आशंका जताई जा रही है। गांव में भीषण कटौती के कारण केवल 13 और शहरों को 16 से 18 घंटे ही बिजली मिल रही है। इस संकट के पीछे एक साथ कई उत्पादन इकाइयों को मेंटनेंस और खराबी के चलते बंद करना है।इस समय 10 से 11 इंटर स्टेट और निजी घरानों की मशीनें बंद हैं। इससे लगभग 3054 मेगावाट बिजली नहीं मिल पा रही है।उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष हुआ राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने यूपी सरकार और पावर कॉरपोरेशन से मांग की कि मेंटनेंस का काम युद्धस्तर पर किया जाए। बिजली की उपलब्धता का इंतजाम वर्तमान में जहां पीक डिमांड 23500 मेगावाट है. वही उपलब्धता केवल 20000 से 20500 मेगावाट के बीच है। इससे लगभग 3500 मेगावाट की कटौती हो ही है। उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन से मांग की कि अक्टूबर में चलाए जा रहे हैं मेंटनेंस कार्य को तुरंत रोका जाए। जब तक बिजली की उपलब्धता सुचार ना बन जाए तब तक मेंटनेंस का कार्य को रोका जाए।वर्तमान में यह कहना गलत नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के महीने में इस साल का सबसे बड़ा बिजली संकट सामने आ रहा है। जहां यूपीएसएलडीसी के दैनिक रिपोर्ट पर नजर डालें तो 10 अक्टूबर को जो आंकड़ें आए हैं उसके मुताबिक ग्रामीण इलाकों को 18 की जगह केवल 13 घंटा 11 मिनट बिजली मिली है। यानी लगभग 5 घंटे कटौती रही है।इसी प्रकार नगर पंचायत को 21 घंटा 30 मिनट बिजली की जगह केवल 18 घंटे 6 मिनट बिजली मिली है। तहसील को 21 घंटे 30 मिनट बिजली मिलनी चाहिए लेकिन केवल 18 घंटे 26 मिनट बिजली मिली है। इसी प्रकार बुंदेलखंड को 20 घंटे बिजली मिलनी चाहिए लेकिन केवल 16 घंटे 25 मिनट बिजली मिली है।कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा की प्रदेश में बैंकिंग की जो बिजली सितंबर तक लगभग 2500 से 3000 मेगावाट मिल रही थी वह अब बंद हो गई है। वहीं, सिक्किम से भी 250 मेगावाट की बिजली बाढ़ के चलते नहीं मिल पा रही है। वर्तमान में पीक डिमांड 23500 मेगावाट जा रही है जबकि उपलब्धता 20000 से 20500 मेगावाट के बीच है। ऐसे में लगभग 3000से 3500 मेगावाट की बिजली कटौती हो रही है।
9 अक्टूबर को जारी इंटरस्टेट व निजी घरानो की बंद उत्पादन इकाइयों की बात करें तो कुछ वार्षिक अनुरक्षण कार्य के लिए और कुछ खराबी के कारण बंद हैं। फिलहाल 3054 मेगावाट की 11 इकाइयां बंद हैं। सबसे बड़ी बारा की 660 मेगावाट, रिहंद की 500 मेगावाट, टांडा की 660 मेगावाट और रोजा की 300 मेगावाट उत्पादन इकाई बंद हैं। वहीं, ऊंचाहार की 500 मेगावाट और हरदुआगंज की 105 मेगावाट की बंदी के कारण बिजली आपूर्ति प्रभावित है।
कहा कि उपभोक्ता परिषद लगातार यह बात कहता चला आ रहा है कि इस बार सितंबर के बजाय अक्टूबर महीने में बिजली संकट आ सकता है। मानसून शिफ्ट हुआ है और उसकी वजह से बिजली संकट का पीक भी अक्टूबर में शिफ्ट होगा।
उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की राज्य सेक्टर की उत्पादन निगम की बिजली इकाइयां लगभग 4225 मेगावाट का उत्पादन कर रही है। लेकिन अन्य इकाइयों की बंदी के कारण एकाएक बिजली संकट उत्पन्न हो गया है। गर्मी भी बढी है। इसकी वजह से आने वाले समय में बिजली की मांग और बढ़ेगी। ऐसे में पावर कारपोरेशन को इस दिशा में भी ध्यान देना होगा।