तेलंगाना के इस रेलवे स्टेशन पर हर रोज लोग टिकट तो खरीदते हैं पर कभी नहीं चढ़ते हैं ट्रेन पर, क्यों?

लोग स्टेशन पर पहुंचते हैं, टिकट खरीदते हैं, ट्रेन आती है और उसमें सवार हो जाते हैं। हर रेलवे स्टेशन की यहीं कहानी आम होती है। लेकिन क्या कभी किसी ऐसे स्टेशन के बारे में आपने सुना है जहां हर रोज टिकट तो बिकते हैं लेकिन एक भी यात्री इस स्टेशन से ट्रेन पर सवार नहीं होता है।
जी नहीं, यह कोई भूतिया या काल्पनिक स्टेशन नहीं है। यह स्टेशन मौजूद है दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य में। पर क्यों लोग टिकट खरीदकर इस स्टेशन से किसी ट्रेन पर सवार नहीं होते है?तेलंगाना के वारांगल जिले में स्थित है नेकोंडा स्टेशन। इस स्टेशन पर हर रोज लगभग 60 टिकट बिकती तो है लेकिन एक भी यात्री इस स्टेशन से ट्रेन पर नहीं चढ़ता है। टिकट भी कोई रेलवे यात्री नहीं बल्कि नेकोंडा में रहने वाले स्थानीय लोग ही खरीदते हैं। हर रोज नेकोंडा स्टेशन से लगभग 60 टिकट खरीदने की उनकी वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। दरअसल, वे इस स्टेशन से ट्रेन का टिकट सिर्फ इस स्टेशन को चालू रखने के लिए खरीदते हैं।मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार नेकोंडा वारांगल जिले में नरसंपेट निर्वाचन क्षेत्र का एकमात्र स्टेशन है। इस स्टेशन से होकर तिरुपति, हैदराबाद, दिल्ली जैसे शहरों के लिए ट्रेनें गुजरती तो हैं, लेकिन यहां उन ट्रेनों का ठहराव नहीं होता है। कुछ स्थानीय लोग इन शहरों को जाने वाली ट्रेनों के ठहराव की मांग कर रहे हैं।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाल ही में इस स्टेशन पर सिकंदराबाद से तिरुपति जाने वाली पद्मावती एक्सप्रेस के ठहराव को भी रद्द कर दिया गया है। इलाके के लोगों द्वारा काफी अनुरोध करने के बाद रेलवे की तरफ से सिकंदराबाद-गुंटूर इंटरसिटी एक्सप्रेस का इस स्टेशन पर अस्थायी रूप से ठहराव तो दिया गया है लेकिन एक शर्त भी रखी गयी है।बताया जाता है कि रेलवे ने अपनी शर्त में कहा है कि अगर अगले 3 महीने तक इस स्टेशन से रेलवे को पर्याप्त आय होती है, तभी सिकंदराबाद-गुंटूर इंटरसिटी एक्सप्रेस यहां स्थायी रूप से रूकेगी। वर्ना यहां इस ट्रेन के ठहराव को पूरी तरह से रद्द कर दिया जाएगा। भारतीय रेलवे द्वारा रखी गयी इस शर्त को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों ने फोरम बनाकर तैयारियां शुरू कर दी है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नेकोंडा स्टेशन के नाम से व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाकर स्थानीय लोगों ने दान में ₹25,000 की राशि इकट्ठा की है। उस पैसे से ही हर रोज स्थानीय लोग नेकोंडा स्टेशन से खम्मन, सिकंदराबाद आदि स्टेशनों के लिए टिकट खरीदते हैं, जिससे रेलवे के खाते में यह दिखाया जा सकें कि इस स्टेशन से भारतीय रेलवे को आय हो रही है। इस कदम से रेलवे इस स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव देने के लिए मजबूर हो सकता है।नेकोंडा गांव में रहने वाले लोगों की इस पहल की नेटिजेन भी दिल खोलकर सराहना कर रहे हैं। हालांकि कुछ इंटरनेट यूजर्स ने इस पहल के खिलाफ सवाल भी उठाया है कि अगर कोई इस स्टेशन पर ट्रेन का इस्तेमाल ही नहीं करता है तो ट्रेनों का ठहराव क्यों दिया जाए?

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