सीट बंटवारे से ज्यादा INDIA अलायंस को EVM की टेंशन, कांग्रेस अभी से अलापने लगी राग

विपक्षी दलों का गठबंधन अपनी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तो ढूंढ नहीं पा रहा है। इससे पहले उसे ईवीएम को लेकर चिंता सताने लगी है। कांग्रेस ने इसको लेकर राग अलापा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ईवीएम पर चुनाव आयोग के ताजा खत का जवाब दिया है।

इसमें उन्होंने कहा कि वीवीपैट और ईवीएम पर उठ रहे सवाल केवल इंडिया गठबंधन ही नहीं, सभी पार्टियों के लिए चिंता का विषय है। यह जबाव उस वक्त आया है जब चुनाव आयोग ने जयराम रमेश के वीवीपैट और ईवीएम को लेकर लगाए आरोपों को खारिज कर दिया है। आयोग ने कहा है कि उसे चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल पर पूरा भरोसा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग से इंडिया गठबंधन के साथ एक छोटी बैठक को लेकर भी रिक्वेस्ट की है। वह चाहते हैं कि वीवीपैट को लेकर क्या मुद्दा है, इस पर उनकी बात सुनी जानी चाहिए।

ठोस जवाब नहीं
जयराम रमेश ने कहा कि ईवीएम को लेकर उनकी चिंताओं और सवालों पर चुनाव आयोग कोई ठोस जवाब देने में नाकाम रहा है। उन्होंने आगे कहा कि ईवीएम और वीवीपैट के संबंध में हमारे सवालों के जवाब के लिए ईसीआई एफएसी को देखने का निर्देश दे रहा है। जबकि हम कह चुके हैं, इससे हमारी चिंताओं का हल नहीं मिल रहा है। रमेश ने कहा कि यही वजह है कि हम बार-बार कह रहे हैं कि हमारी बातों को सुना जाए। उनके मुताबिक ईवीएम और वीवीपैट पर सवालों को लगातार नकारना सभी राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चिंता का सबब है। वरिष्ठ कांग्रेसी ने कहा कि यह भी आश्चर्यजनक है कि आयोग न्यायिक आदेशों की आड़ ले रहा है। साथ ही हमें यह भी याद दिला रहा है कि ईवीएम और वीवीपीएटी के मुद्दे पर दायर जनहित याचिकाओं को मॉनेटरी कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया गया है। जो भी हो, इन मुकदमों का उठाए गए सवालों पर कोई असर नहीं है।

बताया दुर्भाग्यपूर्ण
रमेश ने आगे कहा कि आयोग अच्छी तरह से जानता है कि वीवीपीएटी से संबंधित किसी भी न्यायिक कार्यवाही का लंबित होना आयोग को भारतीय दलों के सुझावों पर चर्चा करने या सुनने से नहीं रोकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई न्यायिक आदेश नहीं है जो इस आयोग को ईवीएम या वीवीपीएटी के मुद्दे पर भारतीय दलों के नेताओं से मिलने से रोकता हो। उन्होंने कहा कि यह अनुरोध एक राजनीतिक गठबंधन द्वारा किया गया है, जिसने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित नेता दिए हैं। इसने 2019 के चुनावों में 60 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए हैं। फिर भी आयोग इन दलों को मिलने का कोई मौका देने से इनकार कर रहा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

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