लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की 10 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने बिसात बिछा दी है। विधायकों के संख्या बल के हिसाब से राज्यसभा में भाजपा की सात सीटें पक्की हैं तो वहीं दो सीटों पर सपा की झोली में जाना तय है।ऐसे में एक सीट पर दोनों ही पार्टियों ने जोड़-तोड़ शुरू कर दिया है। राज्यसभा की तीसरी सीट जीतने के लिए सपा ने जिन छोटे दलों से समर्थन मांगा है, भाजपा ने दलों पर बड़ा दांव खेल दिया है। राज्यसभा चुनाव में इस बार सपा तीसरे कैंडीडेट को बचा पाएगी या उसे गंवाएगी? इसको लेकर समीकरण अभी से बन गए हैं। दरअसल चुनाव से पहले पार्टी को तय करना होगा कि उसके तीनों उम्मीदवारों को कौन-कौन विधायक मतदान करेंगे, या यूं कहें हर प्रत्याशी का कोटा तय होगा। सपा ने तीन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। इसमें जया बच्चन, आलोक रंजन और रामजी लाल सुमन।
चुनाव के गणित की बात करें तो एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के मत की जरूरत होती है। तीनों को जिताने के लिए सपा को 37 गुणा यानी करीब 111 वोट चाहिए। वर्तमान में सपा के पास केवल 108 विधायक ही हैं। उसमें भी दो विधायक इरफान सोलंकी और रमाकांत यादव जेल में बंद हैं। इन विधायकों को चुनाव में वोट डालने का मौका मिलेगा? ये अभी तय नहीं है। इनके वोट डालने का फैसला कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगा। सपा के 108 विधायकों में से सिराथू से विधायक पल्लवी पटेल भी शामिल हैं। पल्लवी पटेल सपा से पहले ही नाराज चल रही हैं, ऐसे में सपा के तीन विधायक कम होकर 105 रह जाते हैं। इंडी गठबंधन के चलते अगर कांग्रेस के दो विधायकों को भी जोड़ लिया जाए तो भी सपा को करीब 111 वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में सपा के पास चार वोटों की कमी हो रही है। यही चार वोट सपा के तीसरे प्रत्याशी की किस्मत का फैसला करेंगे। उधर भाजपा की भी नजरें दूसरे दलों के विधायकों पर हैं। जानकार बताते हैं कि भाजपा आठवीं प्रत्याशी की जीत के लिए विपक्ष में भी सेंध लगा सकती है। अगर ऐसा होता है तो सपा को केवल दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा।
सपा को क्रास वोटिंग का भी सता रहा डर
राज्यसभा चुनाव में तीसरे प्रत्याशी की जीत के लिए सपा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी है। वहीं भाजपा भी आठवें उम्मीदवारों को जिताने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। ऐसे में सपा को क्रास वोटिंग का भी खतरा सता रहा है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अगर क्रासवोटिंग भाजपा के पक्ष में ज्यादा हुई तो सपा के लिए अब तीसरे उम्मीदवार को जिताना भारी पड़ सकता है। सपा की नजर राजा भैया के दो विधायकों पर थी। दो दिन पहले राजा भैया से मिले अखिलेश यादव को इस बात का भरोसा भी हो गया था, लेकिन सोमवार को एनडीए की डिनर पार्टी में शामिल होने पहुंचे राजा भैया ने भाजपा के समर्थन में वोट डालने का ऐलान किया तो सपा में हलचल पैदा कर दी है।