नीतीश कुमार के पालाबदल के बाद भी बिहार में सीएम नहीं बदला है, लेकिन सरकार नई है। अब महागठबंधन की बजाय एनडीए सत्ता में है और उस सरकार का 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होना है। उससे पहले कांग्रेस ने राज्य के अपने 19 में से 17 विधायकों को हैदराबाद भेज दिया है।कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि नीतीश कुमार की नई सरकार के लिए समर्थन जुटाने में उनके विधायकों का इस्तेमाल हो सकता है और उन्हें तोड़ा जा सकता है। इसीलिए उसने विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है। बता दें कि इसी शहर में झारखंड वाले विधायक भी थे, जो फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले ही रांची पहुंचे थे।
बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में यह डर जाहिर कर दिया। अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, ‘हमें सावधान रहना होगा, यदि हम नीतीश कुमार सरकार को फ्लोर टेस्ट में रोकना चाहते हैं। उनके विधायकों के बीच बहुत गुस्सा है। लेकिन वह किसी भी कीमत पर बहुमत साबित करना चाहते हैं। आपने झारखंड में देखा ही होगा कि सीएम की शपथ के बाद भी विपक्ष के सारे विधायक एक साथ रहे। इसलिए हम भी पूरी सावधानी रख रहे हैं। भाजपा जिस तरह से काम करती हैं, उसे देखते हुए हमें सावधान रहना ही होगा।’
यह पूछे जाने पर कि इससे तो यह संदेश भी जाएगा कि कांग्रेस को अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं है। अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि हमें अपने विधायकों पर पूरा भरोसा है, लेकिन भाजपा पर नहीं। यहां तक कि हमारे विधायकों ने ही कहा था कि फ्लोर टेस्ट तक हम लोग साथ ही रहेंगे। यही नहीं उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब पालाबदल चुके हैं तो हमें सीट शेयरिंग पर दोबारा विचार करना होगा। लेकिन हमें इससे कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अब कमजोर हो गए हैं। यहां तक कि इन्हें फ्लोर टेस्ट भी 12 फरवरी तक के लिए टालना पड़ा है। इस दौरान उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को साधने के भी संकेत दिए।