सदमे में बच्चे, पत्नी बीमार; कतर में मौत की सजा से पूर्व नेवी अफसर के परिवार का बुरा हाल

दो दिन पहले भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने कहा था कि वह इस फैसले से बेहद हैरान है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है।ये सभी आठ भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था। अब भारत में इन कर्मियों के परिवार बेहद चिंतित और परेशान हैं। विशाखापत्तनम के पूर्व नौसेना अधिकारी पी सुगुनाकर के परिवार के सदस्यों ने कहा कि कतर की एक अदालत द्वारा उन्हें और सात अन्य पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद वे हैरान और परेशान थे।

केंद्र सरकार से है परिवार को उम्मीद

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुगुनाकर के बहनोई के कल्याण चक्रवर्ती ने कहा, “हम सभी संकट में हैं, और इस खबर से टूट गए हैं। उनकी पत्नी वैजयंती और उनके बेटे और बेटी सदमे में हैं और बीमार हैं। वे डर में जी रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि क्या करना है। सबसे बुरी बात यह है कि वे नहीं जानते कि उन्होंने खता क्या की है।” आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों पर लगे आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। चक्रवर्ती ने कहा, “परिवार केंद्र (सरकार) से कतर के साथ इस मुद्दे को उठाने और उसकी और अन्य लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने का आग्रह कर रहा है।”

अपनी गिरफ्तारी से पहले, सुगुनाकर रोजाना अपने परिवार को फोन करते थे। चक्रवर्ती ने कहा, “अचानक, हमें पता चला कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है, और जुलाई 2022 से (अब से लगभग 15 महीने) उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ है। यह उनकी पत्नी और दो बच्चों के लिए नरक जैसा है, जिन्हें उनके बारे में कुछ भी नहीं पता है।” उन्होंने कहा, “क्या चल रहा है, इसकी जानकारी लेने के लिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।” एक अन्य पूर्व नौसेना अधिकारी और सुगुनाकर के मित्र ने कहा कि वह विशाखापत्तनम में रक्षा कर्मियों के बीच “अच्छी तरह से जाने जाते हैं और अत्यधिक सम्मानित” हैं। मित्र ने कहा कि सुगुनाकर ने “आईएनएस तरंगिनी सेल जहाज पर सवार होकर भूमध्य रेखा को दो बार पार किया”।

हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के लिए भी किया था काम

उनके परिवार ने कहा कि सुगुनाकर के माता-पिता, दोनों शिक्षकों थे। सुगुनाकर 18 साल की उम्र के तुरंत बाद नौसेना में शामिल हो गए और नौसेना इंजीनियरिंग कोर में काम किया। उन्होंने नेवल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक (मैकेनिकल) की उपाधि प्राप्त की, और डिफेंस सर्विसेज कॉलेज, वेलिंगटन से रक्षा और रणनीतिक अध्ययन में एमएससी भी की। उनके परिवार के अनुसार, वह नवंबर 2013 में रिटायर हुए और दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज में शामिल होने से पहले कुछ महीनों तक हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के लिए काम किया।

उन्हें घर लाने के प्रयास में परिवार ने शुक्रवार को विशाखापत्तनम में भाजपा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव से भी मुलाकात की। नरसिम्हा राव ने कहा, “मैं परिवार के संपर्क में हूं और अपडेट दे रहा हूं। मैंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और कतर में भारतीय राजदूत से भी बात की है। भारत सरकार परिवार को पूरी सहायता प्रदान करेगी।”

क्या कर रहा है भारत?

इस बीच भारत फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करने समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि मुद्दे का समाधान खोजने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पता चला है कि भारत को कतर की अदालत के फैसले की प्रति अभी तक नहीं मिली है। अदालत के फैसले पर कतर की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है। मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि फैसले की गहन जांच के बाद नयी दिल्ली अपने विकल्पों पर आगे बढ़ेगी। सूत्रों ने बताया कि भारत मामले को कूटनीतिक या राजनीतिक तौर पर भी सुलझाने पर विचार कर सकता है। भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की अदालत की ओर से बृहस्पतिवार को मौत की सजा सुनाए जाने पर भारत ने कहा था कि वह इस फैसले से बेहद हैरान है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है।

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