सुप्रीम कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी की एक याचिका पर सुनवाई मंगलवार को टाल दी। अंसारी ने इस याचिका में 24 साल पुराने एक मामले में उसे पांच साल की सजा सुनाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने अंसारी की याचिका पर सुनवाई मंगलवार को स्थगित कर दी। पीठ ने कहा कि वह एक खूंखार अपराधी है। ऐसे कई मामले हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि अंसारी ने राज्य में आतंक का साम्राज्य फैला रखा था, जिस पर पीठ ने कहा कि वह अब सलाखों के पीछे है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 13 अक्टूबर को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अंसारी की अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था।इससे पहले, 23 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अंसारी को बरी करने के एक फैसले को पलट दिया था और ‘गैंगस्टर’ कानून से जुड़े एक मामले में उसे पांच साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने विशेष सांसद-विधायक अदालत द्वारा अंसारी को बरी करने के 2020 आदेश को पलटने के साथ ही उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत 1999 में लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। विशेष अदालत ने 2020 में अंसारी को बरी कर दिया था। राज्य ने बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ 2021 में अपील दायर की। विशेष अदालत ने मऊ सदर निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे अंसारी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अभियोजन उसके खिलाफ आरोपों को प्रभावी ढंग से साबित नहीं कर सका।मुख्तार अंसारी फिलहाल यूपी की बांदा जेल में बंद है। उसके ऊपर कई दर्जन मुकदमे अलग अलग जिलों में दर्ज हैं। कई मामलों में उसे सजा भी मिल चुकी है। मुख्तार अंसारी के साथ ही उसके विधायक बेटे अब्बास अंसारी पर भी कई केस हैं। इस समय वह भी जेल में बंद है।