लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। वाराणसी से कांग्रेस के सांसद रहे राजेश मिश्रा मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए। दिल्ली में रविशंकर प्रसाद और अरुण सिंह के सामने राजेश मिश्रा ने भाजपा ज्वाइन कर ली।यूपी में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन के ऐलान के बाद से ही वह नाराज चल रहे थे। अपनी नाराजगी को खुलकर व्यक्त भी किया था। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें सलेमपुर से मैदान में उतारा था। इस बार भी वह टिकट के दावेदार थे। कहा जा रहा है कि इस बार उन्होंने देवरिया के साथ ही भदोही से भी लड़ने की इच्छा जताई थी। माना जा रहा है कि भदोही से वह भाजपा के टिकट पर उतर सकते हैं।राजेश मिश्रा 2004 से 2009 तक वाराणसी के सांसद रहे। उन्होंने तब के कद्दावर भाजपा नेता और लगातर कई बार से सांसद बन रहे शंकर प्रसाद जायसवाल को हराया था। दिल्ली में भाजपा ज्वाइन करने के बाद राजेश मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस में अपमानित किया जा रहा था।राजेश मिश्रा ने कहा कि मेरी कोशिश होगी कि इस बार वाराणसी लोकसभा सीट पर विपक्ष का जो प्रत्याशी होगा उसको पोंलिग एजेंट नहीं मिलेगा। ये सौभाग्य की बात है की मोदी जी वाराणसी के सांसद हैं। पूरी दुनिया में मोदी जी ने देश का नाम रोशन किया है।सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद ही राजेश मिश्रा ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। यहां तक कहा था कि यूपी में कांग्रेस ने सपा के सामने सरेंडर कर दिया है। गठबंधन में कांग्रेस को जो सीटें मिली हैं, वहां पार्टी के पास उम्मीदवार ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि न्याय यात्रा में जातियों पर संबोधित करना गलत है।कहा था कि राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा नहीं भारत तोड़ो नया यात्रा की तरह काम कर रहे हैं। कई वरिष्ठ नेता पार्टी से नाराज हैं। उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस का संगठन खत्म हो गया है, बूथ स्तर के कार्यकर्ता नहीं बचे हैं। पिछले तीस सालों में कांग्रेस की स्थिति काफी खराब हुई है।
क्या बोली कांग्रेस
राजेश मिश्रा के भाजपा ज्वाइन करने पर वाराणसी में कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने एक बयान जारी कर कहा कि अब पार्टी के अंदर गुटबाजी खत्म हो गई है। कांग्रेस ने बहुत सम्मान राजेश मिश्रा को दिया और अब जब पार्टी के लिए संघर्ष का समय है तो वह पार्टी छोड़ दिये। कांग्रेस ने उन्हें एमएलसी बनाया, 1999 में लोकसभा का टिकट दिया चुनाव हारे, 2004 में पुनः टिकट और सांसद बने। अपने भाई बृजेश मिश्रा को कांग्रेस से एमएलसी का चुनाव लड़वाया और पराजित हुए। 2009 में लोकसभा का टिकट मिला लेकिन हार गए। 2017 में वाराणसी दक्षिणी विधानसभा का टिकट मिला फिर चुनाव हारे। 2019 में सलेमपुर लोकसभा मिली जहां जमानत बचाने में नाकाम रहे।
2022 में वाराणसी कैंट विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिला और जमानत नहीं बची। पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावी कमेटी का सदस्य बनाया। आजीवन एआईसीसी सदस्य बनते रहे। प्रदेश में महासचिव व उपाध्यक्ष रहे। अन्य कमेटियों के भी हिस्सा रहे। हर चुनाव में संगठन से लेकर टिकट बंटवारे तक इनकी भूमिका अहम रही है। कांग्रेस ने इनको बहुत सम्मान दिया और अब जब कांग्रेस की सेवा करनी है संघर्ष करना है तो पार्टी को छोड़ दिया है।