सियासी करियर की सबसे कठिन चुनावी लड़ाई लड़ रहे शिवराज और कमलनाथ, क्या बन रहे समीकरण?

निर्वाचन आयोग ने सोमवार को मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया। मध्य प्रदेश में एक ही चरण में सभी सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को वोटिंग होगी। मध्य प्रदेश में अधिसूचना 21 अक्टूबर को जारी होगी जबकि प्रत्याशी 30 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे।

सूबे में अब तक दो मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला देखा गया है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच कांटे की लड़ाई देखी गई थी। यही वजह है कि दोनों ही दल चुनाव परिणाम के बाद की जटिलताओं से बचने के लिए 230 सदस्यीय सदन में स्पष्ट बहुमत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।

दोनों ही दल मतदाताओं को लुभाने के लिए एक से बढ़कर एक लोकलुभावन चुनावी वादे कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिला मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए कई घोषणाएं कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस नेता कमलनाथ अपनी चुनाव-पूर्व गारंटी के साथ मतदाताओं को साधने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच चुनावी समर में आम आदमी पार्टी के कूदने से अब तक द्विध्रुवीय राजनीति का इतिहास रखने वाले सूबे में मुकाबला दिलचस्प हो गया है। वहीं बसपा भी राज्य में अपना खोया हुआ जनाधार फिर से हासिल करने की कोशिश कर रही है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां बसपा ने दशकों से दलित मतदाताओं के प्रभाव वाले क्षेत्रों पर कब्जा कर रखा था।

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि उनका संगठन आगे बढ़े और सूबे में शानदार प्रदर्शन करे। केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के साथ मध्य प्रदेश का दौरा किया है। उन्होंने मार्च के बाद से सूबे में चार रैलियों को संबोधित किया है। यही नहीं उन्होंने मतदाताओं का दिल जीतने और भाजपा और कांग्रेस जैसी मजबूत पार्टियों से मुकाबला करने के लिए मुफ्त शिक्षा, मुफ्त चिकित्सा और मुफ्त बिजली जैसी कई लोकलुभावन चुनावी घोषणाएं कर चुके हैं।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी सूबे में दो-दो हाथ करने का मन बना रही है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी अपनी मंशा जाहिर कर दी है। इस तरह से सूबे में जब चार बार से मुख्यमंत्री पद पर काबिज शिवराज सिंह चौहान (64) और उनके प्रतिद्वंद्वी कमलनाथ (76) अपने राजनीतिक करियर की सबसे कठिन चुनावी लड़ाई लड़ रहे हैं।

भाजपा शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को कुंद करने के प्रयास में जुटी है। भाजपा शिवराज को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने से भी बच रही है। भाजपा ‘एमपी के मन में मोदी’ के नारे और उन पर केंद्रित चुनावी थीम गीत के जरिए मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के करिश्मे पर नजरें गड़ाए बैठी है। आलम यह है कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सात महीने में नौ रैलियों को संबोधित कर चुके हैं। फिर भी लंबे समय तक सूबे पर सीएम के तौर पर शासन करने वाले और लालकृष्ण आडवाणी के युग के नेता शिवराज सिंह चौहान का उत्साह कम नहीं हुआ है। वह अभी भी मोदी की अगुवाई वाली भाजपा में सक्रिय हैं।

‘मामा’ की छवि के लिए जाने जाने वाले सीएम चौहान मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं को लुभाने के लिए कई तरह की घोषणा कर रहे हैं। उन्होंने पहले ही राज्य की 1.32 करोड़ महिलाओं के लिए ‘लाडली बहना योजना’ के तहत वित्तीय सहायता को 1,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 1,250 रुपये और फिर 1,500 रुपये तक ले जाना प्रस्तावित कर दिया है। शिवराज सिंह की सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को लक्षित इस योजना के लिए 16,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। उन्होंने वित्तीय सहायता को धीरे-धीरे बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति माह करने का वादा भी किया है।

एक अनुमान के मुताबिक, शिवराज सिंह चौहान 2.6 करोड़ महिला मतदाताओं में से आधे से अधिक तक पहुंच चुके हैं। इनकी संख्या कम से कम 18 विधानसभा सीटों पर अपने पुरुष साथियों से अधिक है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना की शुरुआत कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की 12 जून को जबलपुर में एक रैली के बमुश्किल दो दिन बाद की। इस रैली में प्रियंका ने कांग्रेस के चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए ‘नारी सम्मान निधि’ के तहत पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था। यही नहीं उन्होंने सरकार बनने पर हर घर को 100 यूनिट मुफ्त बिजली और 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देने की घोषणा भी की थी।

प्रियंका ने यह भी ऐलान किया था कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो सूबे के सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को वापस लाएगी। प्रियंका गांधी वाड्रा के वादे के महीनों बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने का ऐलान कर दिया। इसके अलावा मुख्यमंत्री उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर और उनसे जुड़े संग्रहालयों समेत सूबे के मंदिरों के निर्माण, पुनर्निर्माण या साज-सज्जा पर 3,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रहे हैं। सीएम चौहान ने 21 सितंबर को खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में हिंदू संत आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया।

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