झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला 2019 के चुनावों की तुलना में इस बार लोकसभा चुनावों के लिए बदल सकता है।
क्योंकि कांग्रेस अधिक सीटों की मांग कर रही है। वैसे कांग्रेस के अलावा, जेएमएम और राजद भी ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही हैं।
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व को सूचित किया है कि वह लोकसभा चुनाव में राज्य की 14 संसदीय सीटों में से नौ पर चुनाव लड़ना चाहती है। चुनाव की तैयारियों और राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठक के दौरान गुरुवार को पीसीसी अध्यक्ष राजेश ठाकुर और कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने यह प्रस्ताव रखा।
झारखंड में इन तीनों पार्टियों ने 2019 में भी गठबंधन में लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा था। सीट बंटवारे के समझौते के अनुसार, जहां कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अधिकतम सीटों के साथ गठबंधन का नेतृत्व किया, वहीं झामुमो ने विधानसभा चुनाव में गठबंधन का नेतृत्व किया। 2019 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस ने सात सीटों पर और झामुमो ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था।
बाकी शेष सीटें कांग्रेस ने अपने कोटे से सहयोगियों, राजद और अब समाप्त हो चुकी जेवीएम-पी (बाबूलाल मरांडी की पार्टी जो भाजपा में लौट आई है) के लिए छोड़ दीं थीं। कांग्रेस और झामुमो ने एक-एक सीट जीती जबकि अन्य दो सहयोगियों को एक भी सीट नहीं मिली। गठबंधन केवल दो सीटें – राजमहल और चाईबासा ही जीत सका। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि राज्य के नेताओं ने एआईसीसी नेतृत्व को सूचित किया कि पार्टी को रांची, खूंटी, पलामू, सिंहभूम, लोहरदगा, धनबाद और हजारीबाग सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने चाहिए, जिन पर उसने 2019 में चुनाव लड़ा था।