इजरायल तो बहाना, अमेरिका पर निशाना; हमास को रूस के समर्थन में पुतिन की कूटनीति

यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ने वाले देश रूस ने इजरायल के साथ लड़ाई में हमास के खिलाफ खड़ा नजर आ रहा है। उसने फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास द्वारा इजरायल पर की गई हिंसा की खुले तौर पर निंदा नहीं की है।रूस का सहयोगी ईरान भी हमास के समर्थन में है। वहीं, दोनों देशों के साथ दोस्ताना संबंध रखने वाला भारत खुलकर इजरायल का साथ दिया है। पीएम मोदी और इजरायली राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू के बीच बात भी हुई है। आइए इजरायल-हमास युद्ध पर रूस के स्टैंड के पीछे छुपी कूटनीति को समझने की कोशिश करते हैं।विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन के साथ जारी युद्ध से ध्यान भटकने और तेल निर्यात के क्षेत्र में रूस को अपने इस स्टैंड से लाभ मिलने की संभावना है। हालांकि इसे और विस्तार से समझने की आवश्यक्ता है।

इजरायल-हमास युद्ध से रूस को क्या फायदा?

इजरायल-हमास युद्ध से रूस को सबसे पहला फायदा यह मिलता दिख रहा है कि यूक्रेन पर जो पश्चिमी देशों का फोकस है वह शिफ्ट हो सकता है। इससे यूक्रेन की स्थिति और कमजोर हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें तो रूस के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है। रूस को इस बात का डर है कि यूक्रेन के लिए जारी फंडिंग के लिए जनता का समर्थन और 19 महीने के युद्ध के प्रति धैर्य कम होता जा रहा है।

विश्लेषकों का यह भी मानना है कि रूस इजरायल और गाजा में युद्ध का इस्तेमाल यूक्रेन के बारे में दुष्प्रचार और अपने सहयोगियों के बीच कलह फैलाने के लिए करेगा। वहीं, अगर हमास और इजरायल के बीच लड़ाई बढ़ती है या लंबी हो जाती है, तो यूक्रेन और इजरायल को सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए रूस अमेरिका की क्षमता पर सवाल खड़ा करेगा।

तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं
अब बात व्यापार की। मध्य पूर्व में जारी अस्थिरता के बीच कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है। इसका लाभ प्रमुख तेल उत्पादकों को मिलने की संभावना है, जिसमें रूस भी शामिल है। आपको बता दें कि इजरायल पर हमास के आश्चर्यजनक हमले के बाद सोमवार को तेल की कीमतें 4% बढ़ गईं। कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतों से तेल निर्यातक रूस को अपने भंडार को बढ़ाने में मदद मिलती है। पश्चिमी देशों द्वारा आर्थिक रूप से अलग-थलग किए जा चुके रूस अब तेल निर्यात राजस्व पर अधिक निर्भर है। साथ ही वह 2024 में रक्षा बजट में भारी वृद्धि की योजना बना रहा है।

पुतिन की कूटनीति
रूस उन कुछ देशों में से एक है जिसके इजरायल और मध्य पूर्व के कई देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। पुतिन उन संबंधों का उपयोग इजरायल और ईरान जैसे कड़वे प्रतिद्वंद्वियों के बीच मध्यस्थता करने के लिए कर सकते हैं। इजरायली सेना ईरान समर्थित हमास आतंकवादियों से लड़ रही है। ऐसे में रूस को मध्य पूर्व में अपनी राजनयिक ताकत बढ़ाने का अवसर भी मिलेगा। यह अमेरिका के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

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