इजरायल और हमास के बीच जारी यु्द्ध ने अमेरिका के लिए भी कूटनीतिक मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सऊदी अरब और मिस्र जैसे करीबी देश भी अमेरिका पर भड़क गए हैं और इस मामले में उसके स्टैंड को लेकर नाराज हैं।इसी के चलते अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन इन दिनों अरब देशों की यात्रा पर हैं। इस बीच खबर है कि सऊदी अरब पहुंचे एंटनी ब्लिंकन को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने मुलाकात से पहले घंटों इंतजार कराया। इसके अलावा मिस्र के नेता अब्देल फतह अल-सीसी ने भी अमेरिका के रुख पर आपत्ति जताई है।माना जा रहा है कि इसी के बाद अमेरिका के तेवर थोड़े बदले हैं और उसने इजरायल से गाजा पर कब्जा करने से बचने की सलाह दी है। दरअसल रियाद पहुंचे एंटनी ब्लिंकन की शाम को ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से मुलाकात होनी थी। लेकिन उन्हें घंटों इंतजार कराया गया और फिर अगली सुबह ही मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात हो सकी। यही नहीं मीटिंग की शुरुआत में ही मोहम्मद बिन सलमान ने साफ कर दिया कि इजरायल के मामले में अमेरिका का स्टैंड गलत है। उन्होंने कहा कि इजरायल को गाजा में आक्रमण से बचना होगा और तुरंत अपनी फौजों को वह पीछे हटाए।
सऊदी प्रिंस ने कहा कि इजरायल की आक्रामकता की कीमत बेगुनाह फिलिस्तीनी उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाजा पट्टी में पानी और बिजली तक पर रोक है। इसके चलते लोग एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति को तुरंत कंट्रोल करना होगा अन्यथा पूरे अरब क्षेत्र में इसका असर दिखेगा। अरब देशों में सऊदी अरब की राय की हमेशा से अहमियत रही है। इस्लामिक मुल्कों के नेता के तौर पर पहचान रखने वाले सऊदी अरब की नीति बैलेंस की रही है, लेकिन फिलिस्तीन के मसले पर इस बार वह आंतरिक तौर पर दबाव में है। कहा जा रहा है कि सऊदी अरब की जनता मानती है कि उनके नेतृत्व को इस मसले पर फिलिस्तीन का ही साथ देना चाहिए।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मेमो में सऊदी अरब की मीटिंग को लेकर जानकारी दी गई है। सऊदी अरब के अलावा मिस्र से भी अमेरिका के रिश्ते फिलहाल दांव पर लग गए हैं। बता दें कि अमेरिका ने शनिवार को बताया था कि उसने काहिरा के साथ एक डील कर ली है। इसके तहत मिस्र गाजा से लगा अपना बॉर्डर खोलेगा ताकि वहां से पलायन कर रहे लोगों को मदद मिल सके। हालांकि मिस्र ने ऐसा करने से मना कर दिया है। इसके चलते उन फिलिस्तीनियों को वापस लौटना पड़ा जो मिस्र में घुसना चाहते थे।