गाजा में युद्धविराम होगा या नहीं, क्या कहते हैं हालात? जिसने करवाए थे सीजफायर; वही क्यों डाल रहे हथियार

इजरायल-हमास के मौजूदा जंग से पहले आखिरी बार मई 2021 में दोनों के बीच शत्रुता की खाई चौड़ी हुई थी। उस वक्त भी क्षेत्रीय तनाव इतना गहरा गया था कि एक बड़े युद्ध का खतरा मंडराने लगा था।

तब इजरायल के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन काहिरा गए थे और मिस्र के अधिकारियों के साथ मिलकर युद्धविराम पर बातचीत की थी। तब वह अपने अनुभवों से सीजफायर के निष्कर्ष पर पहुंचे थे। इससे पहले नवंबर 2012 में भी सुलविन ने तब की अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के सहयोगी के रूप में मिस्र के समकक्षों के साथ बातचीत कर आपसी विवाद का हल युद्धविराम के जरिए करवाया था।

मौजूदा हमास-इजरायल जंग का स्वरूप अलग
मौजूदा जंग पहले की लड़ाइयों से अलग है। इसका अंदाजा इससे भी लगता है कि पहले युद्धविराम में केंद्रीय भूमिका निभाने वाली हिलेरी क्लिंटन ने मौजूदा जंग में इसकी संभावना से फिलहाल इनकार कर दिया है। पिछले हफ्ते राइस यूनिवर्सिटी के बेकर इंस्टीट्यूट में एक संबोधन के दौरान उन्होंने इजरायल-हमास युद्धविराम की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “जो लोग अभी युद्धविराम का आह्वान कर रहे हैं, वे हमास को नहीं समझ रहे हैं। यह संभव नहीं है।” उन्होंने कहा, “यह हमास के लिए एक उपहार होगा, क्योंकि युद्धविराम के बाद जो भी समय मिलेगा, उस दौरान हमास अपने हथियारों के पुनर्निर्माण पर खर्च करेगा, ताकि इजरायलियों के खिलाफ अंतिम हमले को रोकने में सक्षम हो सके और अपनी स्थिति बेहतर कर सके।”

बदल चुकी है इजरायल की सोच
यह बात सच भी है क्योंकि ऐतिहासिक रूप से देखें तो इन युद्धविरामों ने इजरायल और हमास दोनों को और मजबूत होकर उभरने में मदद किया है। बदली हुई परिस्थितियों में फिलहाल युद्धविराम की संभावना इसलिए भी क्षीण नजर आ रही है क्योंकि हमास ने जिस तरह से 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला किया है और उसके 1400 नागरिकों की हत्या की और 240 को बंधक बना लिया है, उससे इजरायल की सोच पहले की तुलना में बदल गई है। अब इजरायल हमास को पूरी तरह से खत्म करना चाहता है।

दरअसल, हमास के हमले ने ना सिर्फ इजरायल के खुफिया तंत्र और सुरक्षा बलों को धत्ता बताकर हमला किया बल्कि उसके अस्तित्व को भी चुनौती दी है। इसीलिए इजरायली इस युद्ध को अस्तित्व और यहूदी राष्ट्रवाद की लड़ाई के रूप में ले रहे हैं। इसी वजह से उनका सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण बदल गया है। वह बिना मानवीय त्रासदी को देखे और यूएन समेत अन्य पक्षों की अपील और अनुरोध को दरकिनार करते हुए लगातार आसमानी, जमीनी हमले गाजा पट्टी पर कर रहा है। इसमें यूएन के राहत शिविर भी शामिल हैं। इजरायली हमलों में गाजा पट्टी में अब तक 10,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बच्चे और महिलाएं हैं।

अतीत से ज्यादा कट्टरपंथी परिणाम की उम्मीद
मध्य पूर्व के मंत्री-परामर्शदाता समूह में रहे एक पूर्व अमेरिकी राजनयिक नबील खौरी ने वॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा, “इजरायलियों की पहले की तकनीक यह समझाने के लिए थी कि हमास को नियंत्रण में रखा जा सकता है लेकिन अब इजरायली उससे कहीं आगे की सोच रहे हैं और देख रहे हैं। वे अतीत में जो हुआ उससे कहीं कुछ अधिक कट्टरपंथी परिणाम चाहते हैं।”

सीजफायर नहीं, हमास का हो सफाया
मौजूदा जंग के बीच सबसे बड़ा तथ्य यह है कि अमेरिका में लगभग हर शक्तिशाली व्यक्ति फिलहाल युद्धविराम की संभावना से इनकार कर रहा है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि यह असंभव है लेकिन इससे पता चलता है कि इजरायल सिर्फ एक अवधि के लिए युद्धविराम नहीं चाह रहा है। वह पूरी तरह से हमास का सफाया करना चाहता है और गाजा पट्टी पर विश्व बिरादरी के साथ कोई ठोस नतीजे पर पहुंचना चाहता है, ताकि इस तरह जंग के मैदान में फिर आमना-सामना ना हो सके। अमेरिका भी काफी हद तक इजरायल जैसी ही सोच रखता है और उसी का अनुसरण करता है।

युद्धविराम की संभावना कितनी?
इजरायल और हमास के ऐसा सोचने का मतलब यह भी नहीं निकाला जाना चाहिए कि दोनों के बीच युद्धविराम की कोई संभावना नहीं है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जब दोनों भीषण युद्ध में उलझे हुए हैं, तब भी कूटनीतिक दरवाजे पूरी तरह से बंद नहीं हैं और न ही ऐसा कभी हो सकता है। जंग के बावजूद कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है। इसी कोशिश में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन तीन दिनों में छह से ज्यादा देशों का दौरा कर चुके हैं।

युद्धविराम इस पर भी निर्भर करेगा कि कौन पक्ष किस पर ज्यादा दबाव डाल सकता है; हमास के साथ काम करने की किसकी विशेषज्ञता है? और सबसे बड़ी बात कि अमेरिका इजरायल को युद्धविराम के लिए कैसे मना सकता है। चूंकि ये बातें बंद दरवाज़ों के पीछे होती हैं; इसलिए यहां कूटनीति और देशों का वजन बढ़ जाता है।

अमेरिकी भाषा और रुख में बदलाव
इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि इज़रायल गाजा में “पूरी ताकत से” अपना सैन्य अभियान जारी रखेगा। ऐसे में यह संभावना भी बढ़ जाती है कि युद्धविराम केवल अमेरिकी पहल से ही हो सकेगा। इधर, जैसे-जैसे फ़िलिस्तीनियों की मृत्यु दर बढ़ रही है, बाइडेन प्रशासन ने गाजा में मानवीय तबाही की मान्यता और एक राजनीतिक प्रक्रिया की आवश्यकता के साथ अपनी भाषा में लगातार संशोधन किया है, जिसका इशारा हमास का खात्मा एक फ़िलिस्तीनी राज्य के रूप में दिख रहा है।

पुराने संघर्षविराम रहे विफल, नई से ज्यादा उम्मीदें
यह बात इसलिए भी कही जा रही है क्योंकि इजरायल और अमेरिका दोनों लंबे समय के लिए समस्या का हल चाह रहे हैं। वे पुराने युद्धविरामों से सबक ले रहे हैं कि एक अवधि के लिए हुए संघर्षविराम वास्तविक अर्थ में विफल रहे हैं और लंबे समय तक क्षेत्रीय शांति कायम भी नहीं कर सके हैं क्योंकि वे किसी बड़े राजनीतिक ढाँचे से बंधे नहीं थे जो इजरायल के साथ-साथ फिलिस्तीनी राज्य का निर्माण और उनका भविष्य सुरक्षित कर सके।

हालाँकि, उन युद्ध विरामों ने तत्काल हिंसा पर ब्रेक लगाया है, जिसकी अभी बड़ी जरूरत महसूस की जा रही है। हर बार युद्धविराम होते ही इजरायल जीत की घोषणा करता है। इसलिए मौजूदा समय में भी ऐसे ही युद्धविराम की संभावना तलाशी जा रही है, जो इजरायल की जीत तो तय करे लेकिन फिलिस्तीनी राज्य का स्थाई हल भी निकाल सके और मिडिल-ईस्ट में शांति स्थापना की दिशा में एक मील का पत्थर गाड़ सके।

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