आश्विन शुक्ल पूर्णिमा पर लगने वाला खंडग्रास चंद्रग्रहण 12 में सिर्फ चार राशियों के लिए ही लाभकारी माना जा रहा है। शेष आठ राशि के जातकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।वे ग्रहण काल में घर से बाहर न निकलें। यथा संभव ग्रहण काल का समय पूजा-पाठ एवं जप में व्यतीत करें। भृगु संहिता विशेषज्ञ पं. वेदमूर्ति शास्त्री के अनुसार मिथुन, कर्क, वृश्चिक और कुंभ राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण शुभ फल देने वाला है। मिथुन राशि के जातकों के लिए लाभ देने वाला, कर्क राशि के जातकों के लिए सुख प्रदान करने वाला, वृश्चिक राशि वालों के सौख्य (आराम) में वृद्धि कारक और कुम्भ राशि के जातकों को धन की वृद्धि कराने वाला सिद्ध होगा।
उन्होंने बताया कि अन्य राशियों में मेष राशि के जातक घात के शिकार हो सकते हैं। वृष राशि के जातकों को धन की हानि, सिंह राशि वालों को मन का कष्ट प्राप्त हो सकता है। कन्या राशि के जातकों के लिए मृत्य तुल्य कष्ट देने वाला होगा। तुला राशि वालों को स्त्री पीड़ा, धनु राशि वालों के लिए चिन्ता बढ़ाने वाला, मकर राशि के जातकों की व्यथा बढ़ाने वाला और मीन राशि वालों के मान सम्मान में क्षति कारक होगा।
ग्रहण के अनिष्ट प्रभाव वाली राशि के जातकों को अपने सामर्थ्य के अनुसार धातु (स्वर्ण, रजत) का दान करना चाहिए। अन्न दान भी लाभकारी होगा। विशेष कर काला तिल, खिचड़ी, उड़द इत्यादि का दान करें। इसके अलावा पुराने वस्त्र, जूता-चप्पल दान करने से कल्याण होगा। ग्रहणकाल के समय गुरु प्रदत्त मंत्र, पूजा-पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे भी कल्याण एवं लाभ होता है। संपूर्ण भारत में दृश्य मान होने वाले चंद्रग्रहण का काशी में स्पर्श रात्रि 01:05 बजे, मध्य काल मध्य रात्रि 01:44 बजे और मोक्ष मोक्ष रात्रि 02:23 बजे होगा। सूतक काल ग्रहण के स्पर्श से नौ घंटे पूर्व शाम 04:25 बजे आरंभ हो जाएगा।
मोक्ष के बाद रखें खीर
चूंकि चंद्रग्रहण भारत में नजर आएगा और इसका सूतक काल मान्य होगा, अत: शरद पूर्णिमा पर खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने से वह दूषित हो जाएगी। वह खीर खाने से सेहत को लाभ की जगह हानि हो सकती है। यदि चाहें तो ग्रहण समाप्त होने के बाद चांदनी में खीर रख सकते हैं।