हमास और इजरायल की जंग हुई खतरनाक, फिलिस्तीन को 22 अरब देशों का साथ

जरायल और हमास के बीच जंग विश्व युद्ध का रूप लेने लगी है। अमेरिका और यूके समेत कई देश इस लड़ाई में इजरायल के साथ हैं। उधर, फिलिस्तीन को भी कई देशों का साथ मिल रहा है। 22 अरब मुल्कों ने लड़ाई में फिलिस्तीन के लिए आवाज उठाई है।अरब लीग ने इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को युद्धविराम की सलाह दी है। अरब लीग 22 देशों का समूह है, जिसने बुधवार को आपातकालीन बैठक की थी। इन मुल्कों ने इजरायल के गाजा पट्टी पर किए कत्लेआम पर चिंता जताई थी।गार्जियन की रिपोर्ट है कि हमास और इजरायली सेना के बीच चल रहे कत्लेआम में मरने वालों की संख्या कम से कम 3700 पहुंच गई है। मरने वालों ज्यादातर आम और निर्दोष नागरिक हैं। दोनों देशों के बीच खूनी जंग को लेकर यूएन भी आम लोगों की जान को लेकर चिंता जता चुका है। बुधवार को काहिरा में अरब लीग की एक आपातकालीन बैठक हुई, जहां 22 अरब देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में फिलिस्तीन को साथ देने की बात कही है। अरब देशों ने शांति प्रक्रिया को फिर शुरू करने और फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन और इजरायल के बीच गंभीर बातचीत पर जोर दिया। उन्होंने इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को बातचीत करने की सलाह दी है।

बता दें कि अरब ली 22 देशों का समूह है, जिममें इराक, जॉर्डन, सउदी अरब, कुवैत, कतर, संयुक्त अरब अमिरात समेत कुल 22 देश हैं।

अरब देशों के रुख से बौखलाया अमेरिका
अरब देशों के फिलिस्तीनियों को समर्थन करने पर अमेरिका बौखला गया है। बाइडेन प्रशासन ने निजी तौर पर निराशा व्यक्त की है कि सऊदी अरब, जो हमास द्वारा किए गए क्रूर हमलों की निंदा करना तो दूर यह कह रहा है कि यदि फिलिस्तीनियों को वह स्वतंत्र राज्य दिया गया होता जिसकी वे दशकों से मांग कर रहे थे, तो हिंसा नहीं होती। उधर, सऊदी अरब ने भी अमेरिका द्वारा इजरायल को भेजी गई हथियारों की मदद पर नाखुशी जताई है।

वाशिंगटन ने सऊदी रुख की तुलना हमास द्वारा किए गए अपराधों से की है। बता दें कि यूएई ने 2019 अब्राहम समझौते के बाद अमेरिकी की मध्यस्थता के बाद इजरायल के साथ संबंधों को पूरी तरह से सामान्य कर लिया है, लेकिन संभावित मेल-मिलाप की संभावना अभी तक मुमकिन नहीं हो पाई है।

गौरतलब है कि शनिवार को हमास के अभूतपूर्व हमले के बाद से, सऊदी विदेश मामलों के मंत्री फैसल बिन फरहान खाड़ी और पश्चिमी नेताओं को फोन कर रहे हैं। जिसमें ब्रिटेन के विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली से बात करना भी शामिल है। वे इस संकट को कम करने की मांग कर रहे हैं। बाद में सऊदी के एक बयान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से “फ़िलिस्तीनी लोगों की मांग को पूरा करने के लिए एक साथ आने” का आग्रह किया। साफ है कि सऊदी अरब फिलिस्तीनी मु्द्दे को छोड़ने वाला नहीं है।

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