कोरोना संक्रमण एक बार फिर दुनिया को डरा रहा है। कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि बीते एक महीने में दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामले 52 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। डब्लूएचओ ने बताया कि बीते महीने में दुनियाभर में कोरोना के कुल 8,50,000 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान दुनियाभर में कोरोना संक्रमण से 3000 लोगों की मौत हुई है। हालांकि मरने वालों के आंकड़ों में बीते एक महीने में 8 फीसदी की कमी आई है। वैसे तो कोरोना की पिछली लहरों के मुकाबले यह संख्या गंभीर नहीं कही जाएगी, लेकिन शुरू में धीरे और फिर तेजी से फैलाव की इसकी प्रवृत्ति को देखते हुए किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा सकती। इसीलिए सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया है।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि 17 दिसंबर तक दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 77 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है, वहीं 70 लाख लोगों की अभी तक कोरोना संक्रमण से जान गई है। वैश्विक स्तर पर कोरोना के 1,18,000 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इनमें से 1600 से अधिक मरीजों को गंभीर हालत है और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में वैश्विक स्तर पर 23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं आईसीयू में मरीजों के भर्ती होने में 51 फीसदी का उछाल आया है। कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसके चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जेएन.1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के तौर पर पहचान की है। हालांकि अभी जेएन.1 को ज्यादा खतरनाक नहीं माना जा रहा है लेकिन माना जा रहा है कि ठंड बढ़ने के साथ ही विभिन्न देशों में सांस संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ेगा। राहत की बात ये है कि कोरोना की जो मौजूदा वैक्सीन हैं, उनसे ही जेएन.1 वैरिएंट के खतरे से निपटा जा सकता है। बता दें कि इन दिनों ना सिर्फ कोरोना बल्कि सांस संबंधी बीमारियां, इंफ्लुएंजा, आरएसवी, और न्यूमोनिया जैसी बीमारियां भी फैल रही हैं। ऐसे में लोगों को सलाह दी जा रही है कि वह सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की कोशिश करें। लेकिन दो-तीन दिनों का हल्का खांसी-बुखार भी न केवल लोगों की सेहत पर असर डालता है बल्कि दफ्तर में मौजूदगी को भी प्रभावित करता है। ऐसे में इसे हलके में लेने का कोई कारण नहीं है। अच्छी बात यह है कि जानकारों के मुताबिक चाहे नया सब-वेरिएंट हो या कोरोना के पुराने वेरिएंट, अच्छी क्वॉलिटी का फेस मास्क इससे बचाव का कारगर साधन है।