लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले एक क्षुद्रग्रह के टकराने से हुए विनाश के कारण हमारी पृथ्वी से डायनासोर ख़त्म हो गए थे। इस बात पर वैज्ञानिक वर्षों से सहमत हैं। लेकिन विनाश का दायरा कितना बड़ा था, यह बहस का विषय रहा है।ऐसा कहा जाता है कि माउंट एवरेस्ट से भी बड़े क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने के कारण डायनासोर सहित तीन-चौथाई जानवर पृथ्वी से नष्ट हो गए थे। अब एक नए शोध में कहा गया है कि क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने पर फैले धूल के बादल ने पृथ्वी को लंबी सर्दी में धकेल दिया।वैज्ञानिकों ने एक जीवाश्म स्थल पर मिले कणों का अध्ययन करने के बाद यह बात कही है. इससे पहले भी एक थ्योरी में कहा गया था कि क्षुद्रग्रह की टक्कर से निकले सल्फर और जंगल की आग के धुएं ने आसमान को घेर लिया था. इसके कारण पृथ्वी कई वर्षों तक अंधकार में डूबी रही।नया अध्ययन नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि क्षुद्रग्रह की टक्कर से निकली महीन सिलिकेट धूल हमारे वायुमंडल में कम से कम 15 वर्षों तक बनी रही होगी और वैश्विक तापमान 15 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया होगा।जिन कणों के आधार पर वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं वे कण अमेरिका के नॉर्थ डकोटा में टैनिस जीवाश्म स्थल पर पाए गए थे। अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी के चारों ओर मौजूद धूल के कण 0.8 से 8.0 माइक्रोमीटर के थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये धूल के कण हमारे वायुमंडल में 15 साल तक रहने के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं।