फैसला अदालत से हो वही सही है। सिस्टम को सुधारने की जरुरत है क्यों की एक कानून कहता है की एक गुनहगार भले बच जाए पर कोई बेगुनाह न मारा जाए। अपना बेगुनाही साबित करने का मौका सबको मिलना चाहिए। ज्ञात हो की दिल्ली-एनसीआर में 27 अक्टूबर को दो युवतियां बदमाशों का निशाना बनी। एक युवती को तो स्नैचर के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। पुलिस ने दोनों मामले में आरोपियों की तलाश की। दो एनकाउंटर हुए। लड़की की जान लेने वाले एक स्नैचर की एनकाउंटर में मौत हो गई। वहीं अपार्टमेंट में रेप की कोशिश करने वाले आरोपी के पैर में गोली लगी। योगी आदित्यनाथ के राज में एनकाउंटर के इस रिवाज पर राजनीतिक दल सवाल तो उठाते हैं, मगर आम जनता पुलिस के फैसला ऑन द स्पॉट के खिलाफ खुले तौर पर विरोध नहीं कर रही है। कानून के राज में इस त्वरित न्याय को आम लोगों की मौन सहमति क्यों मिल रही है क्या ?योगी आदित्यनाथ की सरकार के दौरान 2017 से मई 2023 के बीच 10 हजार से अधिक एनकाउंटर हुए। इन मुठभेड़ों में 183 बदमाशों को पुलिस ने मार गिराया और 5 हजार से अधिक अपराधी घायल हुए। पिछले छह महीने में यह आंकड़ा और बढ़ा है। संयोग यह है कि मुठभेड़ का आंकड़ा मेरठ और गाजियाबाद में सर्वाधिक है, जो एनसीआर के हिस्से में आता है। योगी सरकार की ठोको नीति का समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव विरोध करते रहे हैं, मगर इस मुद्दे पर उन्हें खुले तौर से जनसमर्थन नहीं मिला। यूपी का मिडिल क्लास तबका, जो बदमाशों से उलझने के बाद पुलिस थाने और कोर्ट के चक्कर नहीं काट सकता, वह इससे खुश है। अब तो लॉ एंड ऑर्डर का जरूरी हिस्सा बताया जा रहा है। भले ही योगीराज में एनकाउंटर का ट्रेंड पर कानूनी तौर पर सवाल उठ रहे हैं, मगर इसके प्रति लोगों का नजरिया बदलने के लिए जूडिशयरी सिस्टम को चुस्त करना जरूरी है। कोर्ट से जल्द न्याय मिलेगा तो फैसला ऑन द स्पॉट की डिमांड करने वालो का नजरिया भी बदलेगा।मालूम हो की रविवार को पुलिस ने बिसरख थाना क्षेत्र में आरोपी सुमित की घेराबंदी दी। दोनों तरफ से गोलियां चली और एक गोली आरोपी के पैर में लगी। आरोपी सुमित भी कोई बड़ा माफिया नहीं है, मगर उसके खिलाफ भी पहले केस दर्ज हैं। ऐसे बदमाश यूपी के हर गली-मुहल्ले में नजर आते हैं, जो पेशे से अपराधी तो हैं मगर कानून की नजर से छिपे हैं। जब भी आम लोगों का ऐसे बदमाशों से सामना होता है, वह मन मसोसकर रह जाते हैं। इन अपराधियों पर काबू पाना पुलिस के लिए आसान नहीं है। यूपी की राजनीतिक और सामाजिक तानेबाने पर नजर रखने वाले लोगो का कहना है कि जब लोगों को छुटभैये बदमाशों का एनकाउंटर की जानकारी मिलती है, तो वह अपने गुस्से के कारण इसका समर्थन करते हैं।