भाजपा 2014 के आम चुनाव के बाद से ही अलग मोड में है। कभी सवर्ण जातियों और कुछ अन्य समुदायों तक ही सीमित मानी जाने वाली भाजपा को अब लगभग सभी हिंदू जातियों के वोट मिलते हैं। भाजपा ने दलितों और ओबीसी के बीच भी तमाम राज्यों में अच्छी पैठ बनाई और उसका नतीजा विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक देखने को भी मिलता है।लेकिन अब भाजपा उससे भी आगे की तैयारी कर रही है। भाजपा को 2019 के आम चुनाव में यूपी में 62 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार उसने 70 से ज्यादा सीटों का टारगेट तय किया है। भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि पार्टी बसपा के जनाधार में सेंध लगाकर यह लक्ष्य हासिल करना चाहेगी।
दरअसल बसपा जनाधार लगातार छीज रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में तो उसे करीब 12 फीसदी वोट ही मिले थे और माना जाता है कि जाटवों के अलावा किसी अन्य समाज का उसे ज्यादा समर्थन नहीं मिला था। इस तरह बसपा की ताकत लगातार कम हो रही है और उसकी जीत की संभावनाएं भी बेहद कम हैं। ऐसे में उसकी कमजोर होती सियासी जमीन पर सपा के अलावा भाजपा की भी नजर है। आमतौर पर मायावती के जाटव वोटर सपा के खिलाफ रहे हैं। ऐसे में भाजपा को लगता है कि उनके बीच पैठ बनाकर एक हिस्सा हासिल किया जा सकता है। ऐसा हुआ तो आगरा, सहारनपुर जैसे मंडलों में ताकत बढ़ जाएगी, जहां दलितों की अच्छी आबादी है।
उत्तर प्रदेश में दलितों की आबादी करीब 20 फीसदी है। यदि सवर्ण मतदाताओं और कई ओबीसी बिरादरियों के अलावा भाजपा दलित वोटरों का भी गठजोड़ बना लेती है तो यह बड़ी बात होगी। अहम यह है कि बसपा इस बार सभी 80 सीटों पर अकेले ही उतरने जा रही है। उसके वोटबैंक को देखते हुए संभव नहीं है कि वह अकेले जीत हासिल कर सके। ऐसे में भाजपा मायावती के वोटरों के बीच यह प्रचार करना चाहेगी कि यदि बसपा नहीं जीत रही है तो फिर दलित समाज के लोग उसका ही समर्थन कर दें। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि बसपा के अकेले लड़ने की स्थिति में दलित मतदाता भाजपा की ओर रुख कर सकते हैं।
इस बीच भाजपा बस्तियों तक संपर्क की तैयारी में हैं। इसके लिए संत रविदास जयंती के मौके को चुना गया है। पीएम नरेंद्र मोदी खुद शनिवार को रविदास जयंती के मौके पर वाराणसी में होंगे। इसी दिन से भाजपा के नेता और कार्यकर्ता भी दलित बस्तियों का दौरा करेंगे। मार्च में भाजपा दलित मोर्चे का एक आयोजन भी आगरा में करने वाली है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद भी इस आयोजन में रहेंगे। आगरा को पश्चिम यूपी में दलित वोटों का सेंटर माना जाता है। बसपा का पश्चिम यूपी में पिछली बार प्रदर्शन भी अच्छा था और 10 सीटें उसने हासिल की थीं। तब उसका सपा से गठबंधन था, लेकिन इस बार अकेले उतरने पर उसके लिए बड़ी चुनौती रहेगी।