बलिया लोकसभा सीट समीकरण: भाजपा ने फिर काटा सांसद का टिकट, लगेगी हैट्रिक या सपा मारेगी बाजी?

बलिया लोकसभा सीट पर भाजपा ने फिर से मौजूदा सांसद का टिकट काट दिया है। भाजपा ने वर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की जगह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है।पिछली बार भी भाजपा ने मौजूदा सांसद भरत सिंह का टिकट काटकर वीरेंद्र सिंह मस्त को उतारा था। इस साल मैदान में आने वाले नीरज शेखर फिलहाल भाजपा से ही राज्यसभा के सांसद है। वह दो बार सपा के टिकट पर सांसद बन चुके हैं। ऐसे में चर्चा इस बात पर हो रही है कि नीरज शेखर सपा को झटका देंगे या फायदा पहुंचाएंगे। फिलहाल सपा ने अभी प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। बसपा ने लल्लन सिंह यादव को मैदान में उतारकर एक तरह से सपा को दोतरफा घेर दिया है। एक तरफ कट्टर समाजवादी नीरज शेखर भाजपा से मैदान में आ गए हैं औऱ दूसरी तरफ सपा के कोर वोटर यादव जाति के व्यक्ति को बसपा ने उतार दिया है।बसपा और भाजपा के टिकट वितरण से साफ है कि एक बार फिर जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की जा रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने ऐन मौके पर सनातन पांडेय को चुनावी मैदान में उतार कर ब्राह्मण वोटरों को अपने पाले में करने की कोशिश की थी। तब वीरेंद्र सिंह मस्त के जरिए भाजपा ने जो लक्ष्य साधा वह पूरा हो गया था। मस्त उस समय भदोही के सांसद थे। उन्हें बलिया लाकर भरत सिंह की जगह उतारा गया था।अब तक दो बार ही जीती है भाजपा बलिया लोकसभा सीट पर भाजपा को अभी तक दो बार ही जीत मिली है। 2014 से पहले पार्टी केवल 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में उप विजेता बनी थी। बलिया में पहली बार मोदी लहर में 2014 के लोकसभा चुनाव में सफलता मिली। भाजपा के भरत सिंह यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। पांच साल बाद वर्ष 2019 के चुनाव में उनके खिलाफ लोगों में असंतोष बढ़ने लगा। भाजपा ने स्थिति कमजोर होती देख उम्मीदवार बदलने का फैसला लिया। वीरेंद्र सिंह मस्त को चुनावी मैदान में उतारा गया। इस बार वीरेंद्र सिंह मस्त के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। भाजपा के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह ने तो खुलेआम वीरेंद्र सिंह मस्त का विरोध शुरू कर दिया। यहां तक कह दिया था कि अगर उन्हें दोबारा टिकट मिला तो बागी के तौर पर मैदान में उतर जाएंगे।दो जिलों में फैली है लोकसभा सीट बलिया लोकसभा सीट दो जिलों में फैली हुई है। इस लोकसभा सीट के दायरे में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। फेफना, बलिया नगर और बैरिया विधानसभा सीटें बलिया जिले के तहत आती हैं। वहीं, जहूराबाद और मोहम्मदाबाद विधानसभा सीटें गाजीपुर जिले में हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पांच में से महज एक सीट पर ही सफलता मिली। अन्य सीटों पर विपक्ष का कब्जा हुआ था। फेफना, बैरिया और मोहम्मदाबाद से समाजवादी पार्टी के विधायक चुनकर विधानसभा तक पहुंचे हैं। फेफना से संग्राम सिंह, बैरिया से जय प्रकाश अंचल और मोहम्मदाबाद से मन्नू अंसारी विधायक हैं। जहूराबाद से सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर विधायक चुने गए। अब वह एनडीए का ही हिस्सा हैं। बलिया नगर सीट पर भाजपा के दयाशंकर सिंह ने जीत दर्ज की है।सबसे ज्यादा ब्राह्मण, उसके बाद यादव, राजपूत और दलित बलिया लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है। यहां करीब तीन लाख ब्राह्मण हैं। इसके बाद यादव, राजपूत और दलित वोट हैं। तीनों वर्ग की आबादी करीब ढाई-ढाई लाख है। मुस्लिम वोट बैंक भी इस क्षेत्र में करीब एक लाख है। बलिया के दोआबा इलाके में ब्राह्मण सबसे अधिक हैं।पिछले चुनाव में बलिया लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख वोटर हैं। लोकसभा सीट की कुल आबादी करीब 25 लाख है। इसमें से 91.96 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है। शहरी आबादी महज 8.04 फीसदी है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 9,89,732 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कुल वोटरों का यह 53.51 फीसदी था। इस चुनाव में भाजपा को 47 फीसदी और सपा-बसपा गठबंधन को 46 फीसदी वोटरों ने वोट दिए थे। अन्य पार्टियों को 4 फीसदी वोट मिले थे।अब तक चुने गए सांसद बलिया में सबसे पहले 1952 सोशलिस्ट पार्टी के राम नगीना सिंह सांसद बने। इसके बाद कांग्रेस ने यहां लगातार तीन बार चुनाव जीते। 1957 मे कांग्रेस के राधा मोहन सिंह को जीत मिली। 1962 में मुरली मनोहर, 1967 और 1971 में चंद्रिका प्रसाद को जीते। 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ चली लहर में चन्द्रशेखर जनता पार्टी से चुने गए। 1980 में वह दोबारा सांसद बने। 1984 में कांग्रेस ने वापसी की और जगन्नाथ चौधरी ने चंद्रशेखऱ को हराकर सांसद बने। 1989 में फिर से चन्द्रशेखर जनता दल से जीते और वीपी सिंह के बाद प्रधानमंत्री भी बने। 1991 में चंद्रशेखऱ ने समाजवादी जनता पार्टी बनाई और इसी से सांसद बने। इसके बाद 1996, 1998, 1999, 2004 में भी सांसद चुने गए। चंद्रशेखर के निधन पर 2008 में हुए उपचुनाव और 2009 के आम चुनाव में नीरज शेखर ने जीत हासिल की। 2014 में भाजपा के भरत सिंह और 2019 में वीरेंद्र सिंह मस्त सांसद बने।

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