क्यों बगावत करना था जरूरी, सुक्खू का ‘सुख-चैन’ छीनने वाले विधायक ने बताया

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह बागी विधायक अब भी अपने रुख पर कायम हैं। राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट करके सुक्खू सरकार के लिए संकट बढ़ाने वाले सुजानपुर के विधायक राजिंदर राणा ने जनता के सामने अपनी बात विस्तार से रखी है।राणा ने एक फेसबुक पोस्ट में सुक्खू सरकार पर खुद को अपमानित किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी निष्ठा जनता से है किसी शहंशाह से नहीं।राणा ने फेसबुक पर लिखा, ‘पिछले कुछ दिनों से अपनी देवभूमि में जो सियासी गतिविधियां चल रही हैं, उससे आप अच्छी तरह वाकिफ हो और मुझे उसके बारे में मुझे अलग के कुछ बताने की जरूरत नहीं है। सारी हकीकत आपके सामने है। जो आपके सामने नहीं हैं और जिसे साजिश के तहत पर्दे के पीछे छिपाया जा रहा है, उसी से आपको रू-ब-रू कराने के लिए मैं ये पोस्ट लिख रहा हूं क्योंकि मेरी प्रतिबद्धिता, मेरा लगाव, मेरी निष्ठा, मेरा समर्पण, मेरा विश्वास और मेरी जिम्मेदारी आपसे है, सत्ता के शिखर पर बैठे किसी बौने शहंशाह से नहीं हैं!’राणा ने कहा कि वह जनता से किए वादों को पूरा नहीं कर पा रहे थे। इसके लिए उन्होंने सुक्खू सरकार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, ‘ आपसे किए वादों को पूरा करने के लिए मैं सुजानपुर से शिमला और शिमला से दिल्ली तक की दौड़ लगाता रहा। हाथ जोड़कर गुहार लगाता रहा है कि हिमाचल और हिमाचलियत को बदनाम मत करो। जो वादा किया है, उसे पूरा करो। लोगों के भरोसे, देवभूमि की पवित्रता और पावनता को कलंकित मत करो लेकिन ना तो शिमला के शहंशाह के दरबार में मेरी सुनवाई हुई, ना ही हस्तिनापुर के दरकते सिंहासन पर सत्तारूढ़ सत्तानीशों ने मेरी बात पर गौर फरमाया।’

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राजिंद्र राणा ने कहा कि उनके पास दो ही विकल्प बचे थे और उन्होंने दूसरा चुना। उन्होंने कहा कि सच के लिए बगावत करना जरूरी है। राणा ने लिखा, ‘आखिर में मेरे पास बस दो विकल्प बचे थे। पहला-मैं सीएम सुक्खू के किचन कैबिनेट में शामिल होकर सत्ता सुख का आनंद उठाता, दिल्ली के कांग्रेस दरबारियों में अपना नाम लिखाकर सुख चैन की बंसी बजाता, और दूसरा-वही विकल्प जिस पर मैं इस वक्त चल रहा हूं । हिमाचल और हिमाचलियत को बचाने के लिए- प्राण जाए पर वचन ना जाए-की अपनी सनातन संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए बगावत करना। मैंने दूसरे विकल्प को चुना क्योंकि इसी देवभूमि की पवित्र-पावन भूमि ने मुझे बचपन से सीखाया है कि अगर सच के लिए बगावत करना जरूरी है तो फिर बगावत से कभी हिचकना मत। देवभूमि की वो सीख, देवभूमि के वो संस्कार और देवभूमि की उस सनातन संस्कृति को मैंने सिर माथे पर सजाया और बगावत का बिगुल फूंक दिया!’

राणा ने कहा कि मौजूदा सत्ता की साजिश और षड्यंत्र के खिलाफ बगावत आखिरी मुकाम पर है और बहुत जल्द इसके परिणाम भी दिख जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘विश्वास कीजिए वो परिणाम हर तरह से हिमाचल और हिमाचलियत के लिए सुखद और मील का पत्थर साबित होंगे। सत्य और न्याय की मेरी लड़ाई में आप शुरू से मेरा साथ देते रहे हैं और उम्मीद करता हूं कि सच और न्याय की इस लड़ाई में, प्रदेश के स्वाभिमान की इस लड़ाई में, मुझे आपका आशीर्वाद और सहयोग मिलता रहेगा।’

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