अयोध्या का रियल एस्टेट मार्केट बूम पर है। रियल एस्टेट इनवेस्टर्स, होटल कारोबारी और सीनियर सिटीजन्स यहां से प्रॉपर्टी मार्केट में तगड़ी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। रियल एस्टेट ब्रोकर्स का कहना है कि देश और विदेश के कई निवेशक अयोध्या में जमीन खरीदना चाहते हैं।
निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी की वजह से कुछ मामलों में प्रॉपर्टी की कीमतों में 4 से 10 गुना तक का उछाल आया है।
सेकेंड होम बनाना चाहते हैं सीनियर सिटीन्जस, NRI
रियल्टी ब्रोकर्स का कहना है कि अयोध्या के प्रॉपर्टी मार्केट में आए इस बूम ने देश भर के लोगों को लुभाया है। उनका कहना है कि सीनियर सिटीन्स और प्रवासी भारतीय (NRI) यहां अपने सेकेंड होम्स के लिए निवेश करना चाहते हैं। एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के बहुप्रतीक्षित फैसले की घोषणा के बाद से अयोध्या में रियल एस्टेट की मांग काफी बढ़ गई है। न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि बिजनेसमैन समेत शहर के बाहर के निवेशकों की वजह से डिमांड में अच्छी तेजी आई है।’
2019 में यह थी जमीन की कीमत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद 2019 में शहर में प्रॉपर्टी की कीमतों में लगभग 25-30% की बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया गया था। एनारॉक के रिसर्च के मुताबिक, 2019 में फैसले के बाद अयोध्या के बाहरी इलाके (फैजाबाद रोड पर) में जमीन की कीमतें लगभग ₹400-700 प्रति वर्ग फीट तक बढ़ गई थीं। इस दौरान शहर की सीमा के भीतर औसत कीमतें ₹1,000 से 2,000 प्रति वर्ग फुट के बीच रहीं।
आज ये हैं प्रॉपर्टी रेट
अब अक्टूबर 2023 के अनुसार शोध के अनुसार अयोध्या के बाहरी इलाके में जमीन की औसत कीमतें ₹1,500 प्रति वर्ग फुट और ₹3,000 प्रति वर्ग फुट के बीच पहुंच गई हैं। जहां तक शहर की सीमा के भीतर के क्षेत्रों का सवाल है तो यहां औसत कीमतें ₹4,000 और ₹6,000 प्रति वर्ग फुट के बीच बढ़ गई हैं। इस प्रकार, 2019 और 2023 के बीच औसत कीमतों में महत्वपूर्ण उछाल आया है।
अगर आप अयोध्या में प्रापर्टी खरीदने के इच्छुक हैं? तो यह जानना है जरूरी
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संभावित खरीदारों को अयोध्या में जमीन और उसके मालिकाना दस्तावेजों की प्रामाणिकता को सत्यापित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसके कोई विवाद या कानूनी मुद्दे नहीं हैं। प्रॉपर्टी खरीदारों को भूमि उपयोग को नियंत्रित करने वाले स्थानीय जोनिंग कानूनों और विनियमों की जांच करनी चाहिए। साथ ही, अयोध्या के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए विशिष्ट क्षेत्रों में निर्माण या विकास गतिविधियों पर कुछ प्रतिबंध लग सकते हैं।
फर्म ZEUS लॉ एसोसिएट्स के प्रबंध एसोसिएट मोना दीवान ने कहा, ‘इसलिए, उपयोग, निर्माण और विकास मानदंडों और प्रतिबंधों सहित संपत्ति से संबंधित नियमों से अवगत होने के लिए पूरी तरह से जांच करना महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि प्रमुख सड़कों, राजमार्गों और सार्वजनिक परिवहन केंद्रों तक संपत्ति की पहुंच और निकटता की भी जांच करें।
इंफ्रास्ट्रक्चर की करें जांच
जिस क्षेत्र में आप निवेश करना चाहते हैं, वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति की जांच करना महत्वपूर्ण है। संपत्ति खरीद सौदे में शामिल होने से पहले, पानी की आपूर्ति, बिजली और सीवेज सिस्टम जैसी बुनियादी उपयोगिताओं की उपलब्धता की जांच करना और यह आकलन करना भी महत्वपूर्ण है कि मौजूदा बुनियादी ढांचा आपकी आवश्यकताओं को पूरा करता है या नहीं।
शहर के मास्टर प्लान को जरूर देखें
शहर के मास्टर प्लान की विस्तृत जांच भी जरूरी है। लियासेस फोरास के पंकज कपूर की राय है कि होटल विकास में उछाल के साथ वाणिज्यिक अचल संपत्ति विकास के लिए तत्काल अवसर हो सकते हैं। हालांकि, आवास परियोजनाओं में समय लग सकता है।
मंदिर के उद्घाटन का इंतजार कर रहे डिवेलपर्स
शायद यही एक कारण है कि भले ही कई डिवलपर्स ने अयोध्या में जमीन खरीदी है, लेकिन उनमें से कई मंदिर के उद्घाटन का इंतजार कर रहे हैं और रियलटर्स का कहना है कि वे आने वाले लोगों की संख्या का अंदाजा लगाने के बाद ही परियोजनाएं लॉन्च करेंगे।
टाउनशिप और निजी होटल
शहर में कई टाउनशिप और निजी होटल बनने की उम्मीद है, जिसके लिए सरकार ने जमीन मंजूर कर दी है। ये प्लॉट चौदह कोसी परिक्रमा, रिंग रोड और लखनऊ-गोरखपुर राजमार्ग के आसपास स्थित हैं।
अयोध्या विकास प्राधिकरण ला रहा आवासीय योजना
अयोध्या विकास प्राधिकरण है जल्द ही एक आवासीय योजना लाने की योजना है। अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव सत्येन्द्र सिंह ने हिंदुस्तान टाइम्स डिजिटल को बताया, “यह 80 एकड़ भूमि में फैली एक प्लॉटेड योजना होगी।” इस साल अप्रैल और नवंबर के बीच, अयोध्या में 30,000 से अधिक बिक्री पत्र पंजीकृत किए गए, जिनमें से 80 प्रतिशत भूमि लेनदेन से थे। मुंबई स्थित रियल एस्टेट डेवलपर हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा (HOABL) ने मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या में 25 एकड़ की प्लॉट वाली विकास परियोजना शुरू करने की योजना बनाई है। यह परियोजना मंदिर से लगभग 15 मिनट की दूरी पर स्थित है।