आगामी लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में कौन-कौन से दल शामिल होंगे इस पर तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है। खास तौर पर उत्तर प्रदेश में सुई सपा-बसपा को लेकर अटक रही है। इसको लेकर कांग्रेस की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है।यूपी के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय ने कहा कि हम भाजपा के विरोध में सपा, बसपा और सभी को साथ लाने की कोशिश में हैं। इस देश के संविधान और लोकतंत्र को जो बचाना चाहते हैं, उन्हें साथ लेकर चलना INDIA के सभी घटक दलों की है। यह अकेले कांग्रेस का काम नहीं हैं। मुझे विश्वास है कि अखिलेश यादव भी अपनी जिम्मेदारी को समझते होंगे। अविनाश ने कहा कि सीटों को लेकर तमाम तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, लेकिन सच वही होगा, जो सामने आएगा। उन्होंने कहा कि सीटों पर आसानी से फैसला हो जाएगा। इसके लिए हाईकमान मंथन कर रहा है।
सिर्फ राहुल गांधी का काम नहीं
अविनाश पांडेय ने कहा कि सभी सेकुलर दलों को साथ लाने का काम सिर्फ राहुल गांधी का ही नहीं है। इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा। आज तक चैनल से बातचीत में अविनाश पांडेय ने कहा कि इस आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सबको जुटना होगा। उन्होंने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि यूपी की सभी 80 सीटों पर भाजपा के मुकाबले INDIA गठबंधन का एक ही उम्मीदवार हो। उन्होंने कहा कि यदि बसपा देश के संविधान को बचाना चाहती है तो उसके नेतृत्व को फैसला लेना होगा। गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो ने अपनी हालिया ट्वीट में सपा के ऊपर निशाना साधा था। मायावती ने सपा को दलित विरोधी बताया था और इसके अलावा गेस्ट हाउस कांड का भी जिक्र किया था। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि सपा ने अपने शासन काल के दौरान कई दलित विरोधी फैसले लिए।
क्या कहता है मायावती का बयान
मायावती के इस बयान के बाद से ही इस बात की आशंका गहराने लगी थी कि क्या यूपी में सपा और बसपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन पाएंगे। इससे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी बसपा की विश्वसनीयता पर सवाल उठा चुके हैं। इसके ही जवाब में मायावती ने अपने एक्स अकाउंट पर सपा को लेकर तमाम बातें कहीं हैं। बता दें कि फिलहाल मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं हैं। लेकिन खबरों के मुताबिक इस गठबंधन में आने में उन्हें ज्यादा परहेज भी नहीं होगा। दिसंबर 2023 में आया मायावती का एक बयान दिखाता है कि उस वक्त उनके मन में इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनने की इच्छा कहीं न कहीं थी। तब मायावती ने कहा था कि किसी के खिलाफ ऐसी भाषा न बोली जाए कि वक्त पड़ने पर सहयोग मांगने में मुश्किल हो। तब इसे मायावती के इंडिया गठबंधन की तरफ झुकाव का इशारा माना गया था।
कहां फंस रहा पेच
असल में कांग्रेस सपा और बसपा को लेकर दुविधा की स्थिति में हैं। जहां वह सपा को छोड़ना नहीं चाहती है, वहीं बसपा को भी अपने साथ रखना चाहती है। बसपा भी अपना सियासी अस्तित्व बचाने के लिए इंडिया गठबंधन का दामन थामने की चाहत रखती है। लेकिन इन सबके बीच पेच फंस रहा है अखिलेश यादव का। असल में अखिलेश यादव मध्य प्रदेश चुनाव के दौरान हुए अपमान को अभी तक भुला नहीं पाए हैं। ऐसे में मौका देखकर यूपी में चीजों को वह अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। इसके लिए वह दबाव से लेकर तमाम तरकीबें आजमा रहे हैं। उन्हें भी अंदाजा है कि बसपा के इंडिया गठबंधन में आने के बाद यूपी में उनकी लड़ाई पर किस तरह से असर पड़ेगा।