लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया एलायंस में सीटों पर अंतिम फैसला कभी भी हो सकता है। मंगलवार की शाम एक तरफ दिल्ली में कांग्रेस-सपा और रालोद की बैठक शुरू हुई तो दूसरी तरफ लखनऊ में विधायकों की बैठक में अखिलेश यादव ने सीटों की संख्या को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया।
अखिलेश ने संकेतों में विधायकों को बता दिया कि कांग्रेस और रालोद को यूपी में कितनी-कितनी सीटें दी जाएंगी। इसके साथ ही अखिलेश ने मायावती को लेकर भी पार्टी नेताओं और विधायकों को नसीहत दी। कहा कि वह वरिष्ठ नेता हैं। उनका सम्मान हमेशा होना चाहिए। उन्हें लेकर किसी प्रकार की बयानबाजी नहीं करने की हिदायत भी अखिलेश यादव ने दी है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने विधायकों की बैठक में कहा कि मायावती बहुत वरिष्ठ हैं और उम्र में काफी बड़ी हैं। उनका नाम सम्मान से लिया जाना चाहिए। अखिलेश यादव ने यह बात तब कही जब बैठक में एक विधायक ने सपा प्रमुख के सामने उनका नाम लिया तो अखिलेश ने उन्हें टोकते हुए कहा कि वह सीनियर नेता हैं। हम उनका सम्मान करते हैं। वैसे भी हम उन पर सिर्फ राजनीति टिप्पणी करते हैं। बाकी पार्टी के नेता भी मायावती का सम्मान करें। बैठक में स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों को लेकर कुछ विधायकों ने एतराज जताया, इस पर अखिलेश ने कहा कि आगे से ऐसा नहीं होगा।
कांग्रेस को दस और रालोद का आठ सीटें देंगे
अखिलेश बैठक में कांग्रेस को 10 व रालोद को 8 सीटें देने का भी संकेत दिया। कहा कि जयंत 8 सीटें मांग रहें है, वो मेरे विश्वसनीय साथी हैं, उन्हें 8 सीटें दी जाएगी। उन्होंने कांग्रेस को 10 सीटें देने का संकेत दिया। अन्य सहयोगियों में दो से तीन सीटें दी जाएंगी। ऐसे में तय है कि सपा 80 में से 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।सूत्रों के मुताबिक भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर को नगीना से लड़ाया जा सकता है।
विधायकों से फीडबैक, जल्द फाइनल होंगे आधी सीटों पर प्रत्याशी
इंडिया गठबंधन से बातचीत के बीच अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी की जीत का ताना बाना बुनने को फीड बैक लेना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही पार्टी अपने खास जनाधार वाली सीटों पर संभावित प्रत्याशियों के नाम भी तय कर रही है। पार्टी जल्द प्रत्याशियों की एक सूची मकर संक्रांति के आसपास जारी कर सकती है।
कांग्रेस के बसपा प्रेम से चिंतित सपा
अखिलेश यादव ने पिछले दो दिन में जिलाध्यक्षों व विधायकों से बंद लिफाफे में सुझाव भी लिए और संभावित प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा भी की। माना जा रहा है कि सपा कांग्रेस के बसपा प्रेम से चिंतित है और उसे डर है कि कहीं ऐन वक्त पर कांग्रेस खेल न कर दे। इसलिए अभी से पूरी पुख्ता तैयारी कर ली जाए और संभावित प्रत्याशियों के नाम भी तय हो जाएं। बाद में गठबंधन के लिए जो सीट छोड़ने की नौबत आएगी, उसमें पार्टी अपने लोगों को पीछे कर सीट सहयोगी के लिए छोड़ देगी।
अखिलेश यादव ने मंगलवार को अपने विधायकों व पूर्व विधायकों से कहा कि जितना वोट उन्हें पहले मिला था, उससे बढ़-चढ़कर सपा के जो भी प्रत्याशी हो, उन्हें ज्यादा से ज्यादा वोट दिलाएं। पीडीए इंडिया गठबंधन भाजपा और एनडीए का यूपी में सफाया कर दम लेगा। हमारा सामने चुनौती है, इसी से समाधान निकलेगा।
जनाधार वाली सीटों पर तय हो रहे प्रत्याशी
अखिलेश यादव पहले यूं तो कन्नौज से काफी पहले से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अगर शिवपाल आजमगढ़ से चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए तो वह आजमगढ़ से भी लड़ सकते हैं। वैसे अखिलेश यादव आजमगढ़ से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को भी चुनाव लड़ा सकते हैं। परिवार के अन्य सदस्यों में डिंपल मैनपुरी से, बदायूं से धर्मेन्द्र यादव व फिरोजाबाद से अक्षय यादव को चुनाव लड़ाया जाना है।
इन नेताओं को मिल सकता है टिकट
आंबेडकर नगर से लालजी वर्मा, कौशांबी से इंद्रजीत सरोज, फ़ैज़ाबाद से अवधेश प्रसाद, उन्नाव से अनु टंडन, फतेहपुर से नरेश उत्तम, गोरखपुर से काजल निषाद , मुरादाबाद से एसटी हसन (वर्तमान सांसद), बरेली से प्रवीण सिंह ऐरन, मुजफ्फर नगर से हरेंद्र मलिक, फर्रुखाबाद से नवल किशोर शाक्य, घोसी से राजीव राय व बस्ती से राम प्रसाद चौधरी को टिकट मिल सकता है। सलेमपुर से रमा शंकर विद्यार्थी, गाजीपुर से अफजल अंसारी का लड़ना तय माना जा रहा है। बलिया से सनातन पाण्डेय या अम्बिका चौधरी में किसी एक को टिकट मिल सकता है।