एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ काम कर रही यूपी सरकार की निवेश प्रोत्साहन की नीतियों का असर सामने आने लगा है। पिछले पांच वित्तीय वर्षों में राज्य 4 लाख 42 हजार 850 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित करने में सफल रहा है।सूत्रों ने बुधवार को बताया कि हाल ही में संपन्न एक अध्ययन के अनुसार यूपी ने 2018-19 और 2022-23 के बीच 4 लाख 41 हजार 850 करोड़ रुपये से अधिक की नई निवेश परियोजनाओं को आकर्षित किया है जबकि 2 लाख 65 हजार 765 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी की।एमएसएमई निर्यात संवर्धन परिषद ने जैविक खाद्य उत्पादकों और विपणन एजेंसियों के परिसंघ (सीओआईआई) के साथ किए गए अध्ययन को जारी किया। एसोचैम के पूर्व महासचिव डॉ डी एस रावत ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में परियोजनाएं सक्रिय हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान पुनर्जीवित निवेश परियोजनाएं 38 हजार 800 करोड़ रुपये की थीं।अध्ययन में पाया गया कि 2022-23 में कुल बकाया निवेश परियोजनाएं 12 लाख 44 हजार 436 करोड़ रुपये की थीं और कार्यान्वयन के तहत 8 लाख 47 हजार 445 करोड़ रुपये की थीं। अध्ययन में किसी भी लागत वृद्धि से बचने के लिए परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। रिपोर्टिंग अवधि के दौरान निजी क्षेत्र द्वारा निवेश परियोजनाएं (2018-19 से 2022-23) 2 लाख 17 हजार 420 करोड़ रुपये की थी और 92 हजार 478 करोड़ रुपये की पूर्ण परियोजनाएं थी। जबकि 2022-23 में बकाया कुल निवेश परियोजनाएं 6 लाख 81 हजार 746 करोड़ रुपये की थीं। कार्यान्वयनाधीन परियोजनाएं 3 लाख 97 हजार 623 करोड़ रुपये की थी। 2022-23 में निजी क्षेत्र द्वारा नई निवेश परियोजनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जबकि 2021-22 में 44 हजार 708 करोड़ रुपये के निवेश के मुकाबले यह 89 हजार 750 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
सॉफ्टवेयर निर्यात में यूपी का 6वां स्थान
सूत्रों ने बताया कि उत्तर भारत के लिए आईटी हब के रूप में पहचान बनाने वाला यूपी देश में सॉफ्टवेयर निर्यात में छठवां स्थान रखता है। राज्य में आईटी और आईटीईएस क्षेत्र 0.12 मिलियन से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और लगभग 6300 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिससे 53 हजार लोगों को नया रोजगार मिला है। राज्य में देश में 14.20 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अनुमानित एमएसएमई की संख्या सबसे अधिक है। देश में एमएसएमई की कुल अनुमानित संख्या में शीर्ष 10 राज्यों की हिस्सेदारी 74.05 प्रतिशत है। यूपी में 89.99 लाख एमएसएमई हैं जो 165.26 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं; 27.27 लाख महिलाएं और 137.92 लाख पुरुष, इसके बाद 14 प्रतिशत हस्सिेदारी के साथ पश्चिम बंगाल 88.67 लाख है।
उन्होने बताया कि राज्य में एक मजबूत औद्योगिक बुनियादी ढांचा है, जिसमें 15 औद्योगिक क्षेत्र, 12 विशेष पार्क, चार विकास केंद्र शामिल हैं। नोएडा-ग्रेटर-नोएडा-एक्सप्रेसवे बेल्ट कई आईटी/आईटीईएस और इलेक्ट्रॉनिक फर्मों के लिए एक उत्सुक विकल्प रहा है। अध्ययन में कहा गया है कि यह बेल्ट वर्तमान में देश में मोबाइल के नर्मिाण में 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे रहा है और उनके 55 प्रतिशत से अधिक घटकों में अगले पांच वर्षों में 10 से 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज करने की उम्मीद है।