रविवार दोपहर को सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग की शुरुआत कर दी गई। दोपहर 12 बजे से शाम साढ़े चार बजे तक इस मशीन ने सुरंग के अंदर 15 मीटर ड्रिल कर लिया है।मजदूरों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर तक ड्रिल करना है। इसी रफ्तार से यह मशीन काम करती रही और अगर कोई बाधा नहीं आई तो जल्द ही 15 दिनों से अंदर फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। रेस्क्यू टीमें मजदूरों को बचाने के लिए केवल एक प्लान पर काम नहीं कर रही हैं। ऐसे में NDMA के सदस्य, लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने बताया कि रात या कल सुबह तक तीसरे प्लान की भी शुरुआत कर दी जाएगी।
ऑगर की नाकामी के बाद प्लान बी का आगाज
अमेरिकी ऑगर मशीन मजदूरों के करीब जाकर ‘नाकाम’ हो गई। इस मशीन के ब्लेड टूट गए। ऐसे में अब सुरंग के अंदर से टूटे हुए ब्लेड के हिस्सों को बाहर निकाला जा रहा है। यह काम पूरा हो जाने के बाद मैन्युअल खुदाई की जाएगी। इस प्लान में रुकावट आते ही प्लान बी का आगाज कर दिया गया। रविवार दोपहर से वर्टिकल ड्रिलिंग वाली मशीन ऐक्शन मोड में काम कर रही है।
रात तक तीसरे प्लान की शुरुआत
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने बताया, ‘प्लान तीन अभी तक अपनाया नहीं गया है। हालांकि इसके लिए पूरी तैयारी हो गई है। लेकिन इसके लिए जो उपकरण पहुंचने हैं वो अभी भी रास्ते में हैं। सामान धीरे-धीरे आ रहा है क्योंकि उसे दूसरी गाड़ियों में शिफ्ट करना पड़ा, बड़ी गाड़ियां उस सड़क पर आसानी से नहीं आ सकती हैं। उम्मीद है कि आज रात या कल सुबह तक वो उपकरण पहुंच जाएगा। इस प्लान के तहत 170 मीटर साइडवेज ड्रिलिंग की जाएगी।’
सबसे बेस्ट तरीका क्या?
सैयद अता हसनैन ने बताया, ‘सबसे अच्छा तरीका जो अभी तक हमारे पास है वो प्लान एक (ऑगर मशीन वाला) है। प्लान एक में जब ऑगर का टूटा हुआ हिस्सा बाहर निकल जाएगा तब मैन्युअली अंदर जाकर ऑगर का इस्तेमाल करते हुए पाइप अंदर धकेला जाएगा। इसके अलावा अंदर जो खुदाई होगी वो भी मैन्युअली होगी। रेस्क्यू टीम को करीब 15 मीटर खुदाई करनी होगी। यह एक सेफ तरीका है। लेकिन दूसरा बेस्ट तरीका वर्टिकल ड्रिलिंग है जो सुरंग के ऊपर से खुदाई की जा रही है।’