धार्मिक और ज्योतिष मान्यता के अनुसार जानिए किस द्रव्य की धूप देने से क्या होता है फायदा

वैदिक काल से ही सनातन धर्म में यज्ञ करना या किसी विशेष द्रव्य की धूनी देने को पूजा-पाठ का अभिन्न अंग माना जाता रहा है। धूप जलाने से वहां का वातावरण सकारात्मक हो जाता है साथ ही आपको दैवीय कृपा भी प्राप्त होती है।

इससे मन को शांति मिलती है और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। ऐसा मान्यता है कि अलग-अलग चीजों की धूनी से अलग-अलग प्रभाव और लाभ होते हैं। धार्मिक और ज्योतिष मान्यता के अनुसार ऐसी कई चीजें हैं जिनके नियमित रूप से धूनी करने से हम रोगों और दोषों से मुक्त रह सकते हैं।

लौंग और कपूर
वास्तु शास्त्र के अनुसार कपूर और लौंग घर में उत्पन्न होने वाली नकारात्मकता को दूर करते हैं। ऐसे में लौंग और कपूर को साथ जलाने का भी विधान है। आपने देखा होगा कि हवन और पूजन आदि में कपूर और लौंग को साथ में जलाया जाता है ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाए। आरती के दौरान रोज़ाना सुबह और शाम घर में कर्पूर और लौंग जरूर जलाएं।

गुग्गल की धूनी
गुग्गल की धूप को बहुत ही गुणकारी माना गया है। अगर घर-परिवार में आए दिन क्लेश होते रहते हैं या पति-पत्नी के बीच हमेशा विवाद की स्थिति पैदा होती है तो रोजाना कंडे में गुग्गल डालकर धूनी देना चाहिए। इससे घर की नेगेटिव एनर्जी खत्म होगी और माहौल तनावमुक्त हो जाएगा। हफ्ते में 1 बार किसी भी दिन घर में कंडे जलाकर गुग्गल की धूनी देने से गृहकलह शांत होता है। गुग्गल सुगंधित होने के साथ ही दिमाग के रोगों के लिए भी लाभदायक है।

पीली सरसों
पीली सरसों, गुग्गल, लोबान, गौघृत को मिलाकर सूर्यास्त के समय उपले (कंडे) जलाकर उस पर ये सारी सामग्री डाल दें, नकारात्मकता दूर हो जाएगी एवं घर में नज़र दोष नहीं रहेगा।

नीम के पत्ते
घर में नीम की पत्तियों से धूनी देने से सभी हानिकारक बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। सप्ताह में एक या दो बार घर में नीम की पत्तियों की धूनी जरूर जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर की नेगेटिव एनर्जी दूर होती है। वही वास्तुदोष भी समाप्त हो जाएगा।

षोडशांग धूप
अगर, तगर, कुष्ठ, शैलज, शर्करा, नागर, चंदन, इलायची, तज, नखनखी, मुशीर, जटामांसी, कर्पूर, ताली, सदलन और गुग्गल, ये सोलह तरह के धूप माने गए हैं। घर में समय-समय पर इनकी धूनी देने से आकस्मिक दुर्घटना नहीं होती है।

दशांग धूप
चंदन, कुष्ठ, नखल, राल, गुड़, शर्करा, नखगंध, जटामांसी, लघु और क्षौद्र सभी को समान मात्रा में मिलाकर जलाने से उत्तम धूप बनती है। इसे दशांग धूप कहते हैं, इससे घर में सुख-शांति रहती है।

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