पैसों से नहीं चुनाव जनमत से जीता जाता है

भारत का अगला सरदार वल्लभभाई पटेल शक्ति सिंह गोहिल

गाँधी नगर गुजरात : लोकसभा चुनावों में बीजेपी का वर्चस्व ताेड़ने के कांग्रेस ने राज्य सभा के सांसद शक्ति सिंह गोहिल को प्रदेश की कमान सौपी थी वॉर वह उसपे खरे उतर रहे है। गुजरात में सबसे कमजाेर स्थिति में पहुंची कांग्रेस को फिर से जिंदा करने के लिए पार्टी ने बड़ा दांव खेला था जब उसने सौराष्ट्र से आने वाले क्षत्रिय नेता शक्ति सिंह गोहिल को पार्टी ने प्रदेश की कमान सौंपी थी। शक्ति सिंह गोहिल के अध्यक्ष बनने के बाद ही राहुल गांधी ने गुजरात पर अपना फोकस बढ़ा दिया है। शक्ति सिंह गोहिल राहुल गांधी के काफी करीबी नेता माने जाते हैं। उनकी ताजपोशी करके कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाने साध दिए लिए थे । गोहिल इससे पहले दिल्ली और हरियाणा के प्रभारी थे। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने को गुजरात राजनीति की में एक सहासिक प्रयोग के तौर पर देखा जाता है ।शक्ति सिंह गोहिल कांग्रेस हाईकमान से काफी करीबी रिश्ते हैं। शक्ति सिंह गोहिल के पास गुजरात की राजनीति का लंबा अनुभव है। वे सरकार और संगठन के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति का एक्पोजर रखते हैं। इतन ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब शक्ति सिंह गोहिल नेता विपक्ष की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं। वे अच्छे रणनीतिकार के साथ अच्छे वक्ता हैं। वे हिंदी-गुजराती और अंग्रेजी तीनों भाषाओं में बात कर सकते हैं। राजनीतक हलकों में चर्चा है कि शादी नहीं करने वाले शक्ति सिंह पूरी तरह से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े हैं। ऐसे में वह रणनीति बनाकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को टेंशन दे सकते हैं।पार्टी लोकसभा की सीटों में शून्य पर है तब शक्ति सिंह गोहिल के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि बीजेपी को वह क्लीन स्वीप करने से राेकें और प्रदेश में लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी बीजेपी को कड़ी चुनौती दें। भावनगर से ताल्लुक रखने वाले शक्ति सिंह क्षत्रिय समुदाय आते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाड़िया के साथ भी उनके अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि गाेहिल राजनीति गुणाभाग करके बीजेपी को टेंशन दे सकते हैं।अगर लोकसभा चुनावों में कांंग्रेस पार्टी का प्रदर्शन सुधरता है तो इसका पूरा श्रेय शक्ति सिंह को जाएगा।ज्ञात हो की गोहिल आज सारी दुनिया कुर्बान करके पार्टी की सेवा मे जुटे है वह एक अच्छे वकील भी हैं जो लाखों रुपए कमा सकते थे और घर बैठकर आराम से अपना जीवन बिता सकते थे लेकिन संघर्ष कर वह अपना जीवन देने को तैयार है उनका परिवार जो है संघर्ष शील रहा मगर अमीर नहीं रहा था। वह कहते है की जब सरदार पटेल की मृत्यु हुई थी तो मात्र 50 पैसे उनकी जेब में थे पैसा नहीं समर्पण जरूरी है। पैसे कमाने के बजाय उन्होंने समाज में सरदार पटेल की विचारधारा को आगे रखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। शक्ति सिंह गोहिल आज गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद गरीब कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं और वहां से समीक्षा कर रहे हैं कि क्या सिर्फ पैसे से चुनाव लड़ा जा सकता है क्या मतदाता सिर्फ पैसों पर बिकते हैं उसे भावना को खत्म करने के लिए तैयार है और बड़ी तथास्त लड़ाई के साथ लाखों कार्यकर्ता उनके साथ आज खड़े हैं क्योंकि एक ईमानदार नेता दुनिया ईमानदारी से दिशा निर्देश देता है। वह बजपा पर जैम कर बरसते हुए कहते है की दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों व आर्थिक रूप से पिछड़ गए लोगों को भाजपाई अत्याचार व उत्पीड़न से मुक्त कराना हमारा एकमात्र उद्देश्य है। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर वह कहते है की यह भारत के इतिहास का अब तक सबसे बड़ा घोटाला है चंदा दो, धंधा लो से लूट की तर्ज पर भाजपा चल रही है।

 

 

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