जब जितना चाहा उतना बना लिया अपना और पत्नी का वेतन, गजब का मनमाना निकला ये बाबू

 यूपी के देवरिया में बीआरडी पीजी कॉलेज का ये बाबू गजब का मनमाना निकला। उसने जब जितना चाहा उतना वेतन अपने और अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर करा दिया।बाबू के गबन के मामले में कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं।कॉलेज और क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी द्वारा किए गए आंतरिक जांच में पुख्ता साक्ष्य मिले हैं कि बाबू ने अपना वेतन भी निर्धारित से कभी डेढ़ गुना तो कभी दोगुना तक बढ़ा लिया। पत्नी के अकाउंट में भी अलग-अलग महीने में वेतन के रूप में एक लाख से लेकर 2.60 लाख तक ट्रांसफर कराता रहा।आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने 7 नवंबर के अंक में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इस खबर के बाद दूसरे कॉलेजों का भी प्रबंधन सतर्क हो गया है। इधर, शुरुआती जांच में पता चला है कि लैब असिस्टेंट के रूप में अक्तूबर 2010 में उस बाबू की नियुक्ति हुई थी। वर्ष 2012 से उसे वेतन बनाने का भी काम दिया गया था। पिछले 11 वर्षों से वही कॉलेज का वेतन बनाता था।इसे देखते हुए जांच समिति को वर्ष 2012 से अभी तक के रिकॉर्ड की जांच कर रही है। जांच समिति ने सोमवार की शाम कॉलेज में पहुंचकर करीब तीन घंटे तक इस मामले से जुड़े कागजात की छानबीन की। पहले दो राजकीय कॉलेजों के प्राचार्य और एक लेखाधिकारी जांच कर रहे थे। लेखाधिकारी की तबीयत बिगड़ने के कारण उनकी जगह एक राजकीय कॉलेज के प्राचार्य को टीम में शामिल किया गया है।

प्राचार्य बदलने के दौरान खेल की आशंका
तत्कालीन प्राचार्य डॉ कमलापति जनवरी 2019 को प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हो गए। तब वरिष्ठतम शिक्षक प्रो. महेन्द्र विक्रम शाही प्राचार्य बने थे। करीब दो वर्ष पूर्व आयोग से प्रो. एससी मिश्र प्राचार्य बनकर आए। माना जा रहा है कि जनवरी 2019 में प्राचार्य बदलने के दौरान ही बाबू ने यह खेल कर दिया। हालांकि उससे पहले वर्ष 2018 में ही उसने ‘ई-कुबेर’ लागू होते समय पत्नी का नाम क्षेत्रीय कार्यालय और कोषागार में दर्ज करा दिया था।

फर्जी लाभार्थी का खाता सीज
फर्जी लाभार्थी के रूप में लाखों रुपये का वेतन उठाने वाली बाबू की पत्नी का खाता सीज कर दिया गया है। कॉलेज के शिक्षकों-कर्मियों का वेतन यूनियन बैंक में जाता है। अधिकारियों के लिखित आग्रह पर बैंक ने खाता सीज किया है। सूत्रों के मुताबिक जांच के लिए स्टेटमेंट भी निकलवाया गया है। सूत्रों के मुताबिक प्राचार्य प्रो. शरद चन्द्र मिश्र ने वर्ष 1970 से अभी तक के सभी रिकॉर्ड की आंतरिक जांच कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए फाइलें निकाली जा रही हैं।

क्या बोले अफसर
क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ.अश्वनी कुमार मिश्र ने कहा कि यह बेहद गंभीर प्रकरण है। तीन कॉलेजों के प्राचार्यों की उच्चस्तरीय टीम जांच कर रही है। जांच टीम अगले-दो तीन दिनों में रिपोर्ट दे देगी। रिपोर्ट के आधार पर विधिक कार्रवाई की जाएगी।

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