यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल करने के लिए कर्नाटक की दो प्रमुख स्मारकों का प्रस्ताव भेजा गया है। इनमें से पहला स्मारक हसन का श्रवणबेलागोला है और दूसरा स्मारक गदग जिले में स्थित लक्कुंडी है।
राज्य के आर्कियोलॉजी म्यूजियम एंड हेरिटेज विभाग (DAMH) ने ही इन दोनों स्मारकों को यूनेस्को की लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है।
आपको इतना तो समझ में जरूर आ गया होगा कि कर्नाटक की ये दोनों स्मारकें निश्चित रूप से हमारे देश की धरोहरें हैं, जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। आइए आपको इन दोनों स्मारकों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
श्रवणबेलागोला
कर्नाटक के प्रमुख जैन तीर्थ स्थलों में श्रवणबेलागोला की गिनती होती है। यह स्मारक गोमतेश्वरा की प्रतिमा के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है। इस प्रतिमा की गिनती दुनिया में सबसे लंबे मुक्त खड़े अखंड मूर्तियों में होती है। बहुत कम लोगों को ही पता है कि इस मूर्ति का निर्माण सिर्फ एक पत्थर से किया गया है।
इस सिंगल स्टोन मूर्ति को 981 CE में तैयार किया गया था। करीब 30 किमी दूर से ही यह विशालाकार मूर्ति दिखाई देती है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अगर इस मूर्ति को और भी करीब से देखना चाहे तो उसे लगभग 700 सीढ़ियां चढ़कर ऊपर तक पहुंचना पड़ता है। बैंगलोर से इस हसन में स्थित श्रवणबेलागोला की दूरी करीब 150 किमी की है।
कैसे पहुंचे श्रवणबेलागोला
श्रवणबेलागोला का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट मैसूर है, जो इससे करीब 87 किमी की दूरी पर मौजूद है। श्रवणबेलागोला में एक रेलवे स्टेशन भी है, जहां से बैंगलोर के लिए नियमित अंतराल पर ट्रेन सेवा उपलब्ध है।
लक्कुंडी
हजारों साल पहले होयसला साम्राज्य की राजधानियों में लक्कुंडी या लोक्कीगुंडी भी शामिल था। इस गांव में आज के समय करीब 50 से अधिक मंदिरों के खंडहर मौजूद हैं। इन मंदिरों का संबंध चालुक्य, कालाचुरी और सुएना से है। इस गांव की एक और खासियत है। यहां 100 सीढ़ियों वाली एक बावड़ी/बावली भी है, जिसे कल्याणी के नाम से जाना जाता है। बैंगलोर से करीब 375 किमी दूर लक्कुंडी के बारे में लोगों को काफी कम जानकारी है। इस वजह से यहां पर्यटकों की अधिक भीड़ नहीं होती है।
कैसे पहुंचे लक्कुंडी
लक्कुंडी का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट हुबली एयरपोर्ट है जो इससे 70 किमी दूर मौजूद है। इसके अलावा बेल्गम का सम्ब्रे एयरपोर्ट लक्कुंडी से करीब 127 किमी दूर मौजूद है।