
भारत 2031 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए हमें केवल 2060 तक का समय लगेगा। यह कहना है आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवोव्रत पात्रा का, मसूरी में भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए पात्रा ने कहा कि यह कल्पना करना संभव है कि भारत अगले दशक की शुरुआत में ही दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्था बन सकता है इसके लिए हमें 2048 तक का इंतजार करने की जरूरत नहीं है।पात्रा ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए 2060 तक का समय लगेगा।
वर्तमान में निम्न मध्यम वर्ग की संख्या है सबसे ज्यादा
वर्तमान में भारत में निम्न मध्यम वर्ग की संख्या सबसे ज्यादा है। वर्तमान में भारत 3.6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गया है। 2500 डॉलर प्रतिव्यक्ति आय पर भारत निम्न मध्यम आय के समूह देशों में आता है। यहां तक पहुंचने के लिए हमने एक कठिन यात्रा का पूरा किया है। भारत की अब आगे कि यात्रा और संघर्ष भरी है, अगर हमें विकसित अर्थव्यवस्था बनना है तो हमें अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में नए क्रांतिकारी कदम उठाने होंगे।
हर साल 9.6 प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा आगे
पात्रा ने अपनी बात को जोर देते हुए कहा कि अगर भारत को इन लक्ष्यों को हासिल करना है और समय के साथ विकसित अर्थव्यवस्था बनना है तो हमें अगले दस वर्षों तक 9.6 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से आगे बढ़ना होगा। इतनी विकास दर को प्राप्त करने के बाद हम लोअर मिडिल क्लास के चक्र से मुक्त होकर एक विकसित अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। वर्तमान में भारत 3.6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गया है।
2048 तक अमेरिका को अर्थव्यवस्था में पछाड़ देगा भारत
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन का अनुमान है कि पीपीपी के संदर्भ में भारत 2048 तक अमेरिका को पछाड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते इन्फ्लेशन के लिए डिप्टी गवर्नर ने कहा कि यह आरबीआई इसे अपने लक्ष्य के अनुरूप करने के लिए प्रतिबद्ध है, 2025-26 तक इन्फ्लेशन कम होकर 4.1 प्रतिशत पर आ जाएगी इस समय भारत की इन्फ्लेशन दर 4.5 है जो घट कर 4.1 पर आ जाएगी, नियंत्रित इन्फलेशन दर भारत के भविष्य में तेज विकास के लिए नींव बनेगी।पात्रा ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली भी लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही है। जीएनपीए, जो कि मार्च 2018 में अपने चरम से गिरकर मार्च 2024 तक कुल संपत्ति का 2.8 प्रतिशत हो गई है। इस समय पर शुद्ध एनपीए केवल 0.6 प्रतिशत है, जो कि देश के पूंजी और तरलता बफर नियामक मानदंडों से काफी ऊपर है।